लघुकथा

लघुकथा – विकल्प

दीपावली कुछ दिनों बाद आने बाली थी पर अबकी बार मौसम भी कुछ विचित्र सा गर्मी लिए हुए था साथ ही वायु का प्रदुषित होना भी दुविधा का कारण बना हुआ था । वायु प्रदूषण की भयाभयता का अंदाजा लगाते हुए सरकार की मंशा के अनुरूप स्थानीय प्रशासन ने भी पटाखों की दुकान व पटाखे चलाने पर सख्ती से पाबंदी लगा दी थी । बच्चों ने जब ये सुना कि अबकी बार दीपावली पर पटाखे चलाये नहीं जायेंगे तो उन्हें बड़ा ही बुरा लगा ।

आज दीपावली की सांझ, सभी बच्चे मायूस, तब ही अचानक पड़ौस के अंकल जी की छत से छोटे-छोटे फटाखों के चलने सी आवाज आई । ये सुन सभी बच्चे अपनी-अपनी छत पर चँढ़कर देखने लगे । तो वो देखते हैं कि मोनू और उसकी छोटी बहन मच्छर मारने के रेकिट से मच्छर मार रहे हैं और उस आवाज से पटाखों का सा आनंद ले रहे हैं ।  ये खबर तत्काल ही   पूरे शहर में फैल गई , देखते ही देखते सभी बच्चे अपनी-अपनी छतों पर रेकिट लेकर चँढ़ गये और एक अलग ही अंदाज से दीपावली मनाने लगे । लगता आज मच्छरों की शामत आ गयी थी पर बच्चों को फटाखों का विकल्प मिल चुका था कुछ शरारती बच्चे तो गली मोहल्लों की सड़कों पर भी दीपावली मनाते देखे गये ।
पता नहीं पटाखे चलते तो हवा प्रदुषित होती या नहीं पर मोनू के विकल्प ने शहर को मच्छर मुक्त अवश्य कर दिया ।
— व्यग्र पाण्डे 

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201