कविता

कविता

किसी को बतलाए क्या खोया है हमने

अपने अंदर खुद तन्हाई को बोया हे हमने

अब तुम जैसे सच्चे मित्र कहा पाएंगे

हम तो अपनों में भी अब तन्हा हो जाएं गे

मुझको सच्चा,ई की राह दिखाई है तुमने

लोगों की पहचान मुझको कराई हे तुमने

अब जीवन भर उसकी भरपाई नहीं होगी

संगत मे मेरी जो ये अच्छाई नहीं होगी

मेरी जीवन में फिर उदासी रंग भर जाएं गी

ओ मेरे यार तेरी याद बहुत आएगी

— अभिषेक जैन 

 

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश