पर्यावरण

गोवंश के संरक्षण और संवर्धन पर ध्यानकेंद्रित एक अच्छी पहल

गोवंश के संरक्षण के लिए प्रदेश में बनेगी गो -केबिनेट की खबर सुर्खियों में आई।गो संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक अच्छी पहल है।विदेशों में गाय को गले लगाने का चलन जोरों पर है।इसके द्धारा वे स्वयं को तनाव ,अवसाद मुक्त होकर स्वस्थ्य महसूस कर रहे है।इस प्रयोग के लिए वे हजारों रुपये खर्च कर रहे है।हमारे यहाँ प्राचीन काल से ही स्पर्श,और गले लगाया जाता रहा। साथ ही गो माता के महत्व को जाना जाता रहा। गौ माता का (गोधूलि वेला ) जंगल से घर वापस लौटने का संध्या का समय अत्यंत शुभ एवं पवित्र है । गाय का मूत्र गौ औषधि है । माँ शब्द की उत्पत्ति गौ मुख से हुई है । मानव समाज में भी माँ शब्द कहना गाय से सीखा है ।जब गौ वत्स रंभाता है तो” माँ” शब्द गुंजायमान होता है । गौ -शाला में बैठकर किये गए यज्ञ हवन ,जप-तप का फल कई गुना मिलता है । बच्चों को नज़र लग जाने पर गौ माता की पूंछ से बच्चों को झाड़े जाने से नजर उतर जाती है ।ऐसा उदाहरण पूतना उद्धार में भगवान कृष्ण को नज़र लग जाने पर गाय की पूंछ से नजर उतारने का ग्रंथों में भी पढ़ने को मिलता है । गौ के गोबर से स्थान का लीपने से स्थान पवित्र होता हैजब हम किसी अत्यंत अनिवार्य कार्य से बाहर जा रहे हो और सामने गाय माता के इस प्रकार दर्शन हो की वह अपने बछड़े या बछिया को दूध पिला रही हो तो हमें समझ जाना चाहिए की जिस काम के लिए हम निकले है वह कार्य अब निश्चित ही पूर्ण होगा ।
गौ -शाला में बैठकर किये गए यज्ञ हवन ,जप-तप का फल कई गुना मिलता है । बच्चों को नज़र लग जाने पर गौ माता की पूंछ से बच्चों को झाड़े जाने से नजर उतर जाती है।ऐसा उदाहरण पूतना उद्धार में भगवान कृष्ण को नज़र लग जाने पर गाय की पूंछ से नजर उतारने का ग्रँथों में भी पढ़ने को मिलता है ।
गौ के गोबर से स्थान का लीपने से स्थान पवित्र होता है । गौ -मूत्र का पावन ग्रंथों में अथर्ववेद ,चरकसहिंता ,राजतिपटु ,बाण भट्ट ,अमृत सागर ,भाव सागर ,सश्रुतु संहिता में सुंदर वर्णन किया गया है ।काली गाय का दूध त्रिदोष नाशक सर्वोत्तम है ।जिस प्रकार पीपल का वृक्ष एवं तुलसी का पौधा आक्सीजन छोड़ते है ।इस प्रकार यदि एक छोटा चम्मच देसी गाय का घी जलते हुए कंडे पर डाला जाए तो एक टन ऑक्सीजन बनती है ।इसलिए हमारे यहाँ यज्ञ हवन अग्नि -होम में गाय का ही घी उपयोग में लिया जाता है ।प्रदूषण को दूर करने का इससे अच्छा और कोई साधन नहीं है । रुसी वैज्ञानिक शिरोविच ने कहा था कि गाय का दूध में रेडियों विकिरण से रक्षा करने की सर्वाधिक शक्ति होती है । गाय का दूध एक ऐसा भोजन है जिसमे प्रोटीन कार्बोहाइड्रेड ,दुग्ध ,शर्करा ,खनिज लवण वसा आदि मनुष्य शरीर के पोषक तत्व भरपूर पाए जाते है । गाय का दूध रसायन का करता है ।ऐसे जानकारियां वैज्ञानिकों शोध की एवं धार्मिक ग्रंथों में दर्शित है
आज भी कई घरों में गाय की रोटी रखी जाती है .एक जानकारी के मुताबिक प्रदेशमें कुल 1227 गोशालाएँ चल रही है। इनमें 627 अनुदान प्राप्त है और 600 सरकारी स्टार पर संचालित है। 2600 गोशालाओं का निर्माण कार्य चालु है।कई स्थानों पर संस्थाएं गौशाला बनाकर पुनीत कार्य कर रही है ।जो की प्रशंसनीय कार्य है । साथ ही यांत्रिक क़त्लखानों को बंद करने का आंदोलन ,मांस निर्यात नीति का पुरजोर विरोध एवं गौ रक्षा पालन संवर्धन हेतु सामाजिक धार्मिक संस्थाएं एवं सेवा भावी लोग लगातार संघर्षरत भी है।
दुःख इस बात का भी होता है की कुछ लोग गाय को आवारा भटकने बाजारों में छोड़ देते है । उन्हें इनके भूख प्यास की कोई चिंता ही नहीं होती।लोगो को चाहिए की यदि गाय पालने का शौक है तो उनकी देखभाल भी आवश्यक है क्योकि गाय हमारी माता है एवं गौ रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है ।खैर ,गोवंश के संरक्षण और संवर्धन पर शासन का फोकस होना एक प्रशंसनीय खबर है।

— संजय वर्मा “दृष्टि”

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच