कविता

कविता

भरने में मुझमें कुछ रंग

ऐसे

मुझे जो तुम्हारी याद दिलाए

भले

देखकर उनको।

कुछ देर को।

आंख मेरी नम हो जाए

भले

लोग मुझे

चिढ़ने लगे

और छोड़ जाने लगे

अब मुझे

किसकी जरुरत है

तुम जो मेरे  साथ रहकर

रहने लगे

अब मैं पूरा हो गया हूं।

अब किसी की

जरूरत बाकी नहीं है

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश