राजनीति

अनैतिक मानसिकता का विरोध जरूरी

कई दशकों के षड्यंत्र, प्रताड़ना, हिन्दू कन्याओं के अपहरण, जबरन निकाह, षड़यंत्र पूर्वक किए गए प्रेम के नाटक के बाद निकाह और फिर धर्म बदलकर मुसलमान बनाने के षड़यंत्र पर बड़े विलंब के बाद एक निर्णायक कानून बनाने का अवसर है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक सहित अनेक राज्य अब लव जिहाद के विरुद्ध कानून बनाने के लिए कमर कस चुके है। इस संबन्ध में विश्व हिंदू परिषद के साथ ही अन्य हिन्दू संगठनों ने भी सरकारों को ज्ञापन विरोध प्रदर्शन के माध्यम से जन मानस का सन्देश पहुचाने का कार्य किया था। देश के विरोध या राष्ट्रहित मुद्दों पर भी विरोध करने का यह पहला अवसर नही है, अभी कुछ दिवस पूर्व ही देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रवाद पर नकारात्मक टीप्पणी करके अपनी मजहबी मानसिकता का प्रदर्शन किया था, या यह कहें कि अपने रिमोट संचालित होने का प्रदर्शन किया तो अतिशयोक्ति नही होगी। आपको आतंकवाद के समर्थन में विपक्ष दिखाई नही देता, आपको पुलवामा पर प्रश्न करते अपना नेतृत्व दिखाई नही देता, आपको सेना का अपमान करते अपना पक्ष दिखाई नही देता, आपको CAA NRC जैसे राष्ट्रहित विषयों पर बेवजह विरोध दिखाई नही देता।
परन्तु आपको राष्ट्रवाद के समर्थन में खड़ा होता य7वा बर्दाश्त नही हो रहा। यह आपका तुच्छ दृष्टिकोण है। जबकि आज केंद्र सरकार सर्व देशवासियों के हित में जो निर्णय ले रही आज तक किसी सरकार ने नही लिए।

तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं को न्याय देने के बाद मुसलमानों द्वारा प्रताड़ित हिन्दू महिलाओं के विषय में लव जिहाद के कानून बनाने का हम सभी स्वागत करते है। योगी आदित्यनाथ के एक के बाद एक दमदार एक्शन के बाद शिवराज भी एक्शन में दिखाई दे रहे है। फ्रांस के राष्ट्रपति के विरोध के बहाने भोपाल में मजहबी विरोध प्रदर्शन और अशांति फैलाने वाले कांग्रेसी विधायक आरिफ मसूद के विरुद्ध दमनात्मक कार्यवाही इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसी प्रकार पुलिस विभाग को अपराधियो पर कठोर कार्यवाही की हिदायत के बाद मन्दसौर, उज्जैन आदि जगह पुलिस की कार्यवाही भी प्रशंसनीय है। निश्चित रूप में सभ्य समाज को परेशान करने वाले हर पक्ष का दमन जरूरी है

जैसे जैसे लव जिहाद पर सरकार और प्रशासन की मार पढ़ने लगी है, दबी जुबान में इनके पक्षधर अप्रत्यक्ष रूप से लव जिहाद पर बनने वाले कानून का विरोध भी करने लगे। दैनिक भास्कर में लेखक डॉ वेदप्रताप वैदिक जो भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष भी है, उनका एक लेख छपा। इस लेख में उन्होंने लव जिहाद पर बनने वाले कानून को अप्रासंगिक बताने का प्रयास किया।

आपने कानपुर के संबन्ध में लिखकर कहा कि वहां पुलिस को उपयुक्त साक्ष्य नही मिले। तो आपको बताना चाहूंगा कि

1) कानपुर का फतेह खान, आर्यन मल्होत्रा बनकर मिला। फतेह खान ने अपनी धार्मिक पहचान छिपाने और LOVE जेहाद की साजिश के लिए टीका भी लगाया और कलावा भी बांधा, ऐसा करके उसने हिन्दू लड़की को खुद के हिंदू होने का भरोसा दिलाया।

2)  नफीस शाह ने हिन्दू लड़की को अपना नाम बबुआ बताया, बबुआ उसे दोस्ती करने के बाद घर ले जाने लगा।  एक दिन धोखे से मौलवी को बुलाकर निकाह कर लिया। पीड़ित के मुताबिक बबुआ बना नफीस उसे धोखा देने के लिए अपनी पत्नी को भी अपनी बहन बताता था।

3) राहुल सिंह बने मुख्तार ने उनकी बेटी को हिंदू होने का विश्वास दिलाया था। वह हाथ में कलावा बांधता था और उनकी बेटी को भरोसा दिलाने के लिए मंदिर भी ले जाता था। वह उनकी बेटी को फंसाने से पहले एक और हिंदू लड़की से ऐसे ही छल करके निकाह कर चुका था।

साथ ही कानपुर में पुलिस को पीड़ित परिवारों की ओर से लव जेहाद (Love Jihad) की 14 शिकायतें मिली थी। इनमें से गोविंदगंज में 2, फजलजंज में 1, बाबूपुरवा में 1, कल्याणपुर में 1,पनकी में 1, चकेरी में 1, किदवई नगर में 2 और और नौबस्ता से 5 शिकायतें थीं। लेकिन इन 14 मामलों में 11 केस ऐसे मिले, जिनमें साजिश करके लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया गया। इन 11 मामलों में शामिल 13 लड़कियों में 3 बालिग थी जिन्होंने अपनी मर्जी से शादी की थी, बाकी 8 लड़कियां नाबालिग हैं। इन लड़कियों का शारीरिक शोषण किया गया। अब नाबालिग से जुड़े मामलों में 8 आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं।

परन्तु क्या वैदिक जी लव जिहाद से पीड़ित किसी बहन से मिले है ? क्या किसी बहन का पुनर्विवाह इनके द्वारा करवाया गया ? क्या किसी लव जिहादी को आपने दण्ड दिलवाने में पीड़ित का सहयोग किया ?

नही, ऐसा कुछ भी नही। परन्तु लव जिहाद के समर्थन में अपने विचारों को देकर इस षड्यंत्र से पीड़ित बहनों के जख्म पर नमक अवश्य लगाएंगे। हम समाज के व्यापक दृष्टिकोण का समर्थन करते है, किन्तु ऐसे विचारकों का बिल्कुल नही जिनमें सत्य को सत्य कहने का साहस ना हो। एक बार फिर दैनिक भास्कर ऐसे लेख छापकर विवादों में है, कई बार इस समाचार पत्र के विरोध में आवाज उठ चुकी है। यह नया अवसर नही है। संपादक महोदय से भी आग्रह है, लेख की विषय वस्तु को समझकर ही लेख छापें, अन्यथा विरोध झेलने को तैयार रहें। क्योंकि अब यह नया भारत राष्ट्रवाद या देशहित किसी भी मुद्दे का विरोध सहन नही करेगा, हर स्तर पर विरोधियों को उसका मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।

— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश