लघुकथा

दुआ

उसने बड़े प्यार से कहा बेटा मेरी मदद करोगे तो तुम्हें मैं ढेर सारी दुआ दूंगा बाबा अभी मेरे पास पैसे तो है नहीं दो रोटी है जो मेरी मां ने सफर निकलने से पहले लरख दी थी अगर तुम चाहो तो मैं वो तुम्हे दे दूंगा पर बेटा फिर तुम्हें भूखा रहना पड़ेगा कोई बात नहीं बाबा जी आपकी दुआ है साथ मेरे अगर मर भी गया तो इक अच्छा काम करेंगे मरूंगा दिल में तसल्ली रहेगी बेटे मरे तेरे दुश्मन एक रोटी तुम खा लो एक मैं खा लूगा इस तरह मैं भी अच्छे इंसान को बचाकर ।अच्छाई को मरने से रोक सकता हूं बेटे तुम जैसे अगर सभी हो जाए तो दुनिया सुधर जाएगी और बुढापे में कोई मेरी तरह भीख मांगने से बच जाएगा

 

 

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश