लघुकथा

यादों के झरोखे से- 30

संयोग (लघुकथा)

हर बुधवार की तरह इस बुधवार भी मैं English Conversation (Australian Accent)पढ़ने के लिए स्कूल गई थी. संयोग ऐसा हुआ, कि मुझे कक्षा में अकस्मात भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के बचपन की याद आ गई.

हुआ यह कि हमेशा की तरह मैं अपनी कक्षा में सबसे पहले पहुंची थी. हमारी टीचर को तो आधा घंटा पहले आना था, सो वे पूरे दिन पढ़ाने के लिए सेटिंग कर रही थीं.

”होम वर्क कर लिया?” गुड मॉर्निंग करने के बाद उन्होंने मुझसे काम करते-करते ऐसे ही संवाद शुरु करने के लिए पूछ लिया.

मैं तो पहले ही बच्चों की तरह होम वर्क हाथ में लेकर बैठी थी, सो मैंने वही दिखा दिया. जवाब देने की जरूरत नहीं पड़ी.

”ओह! वैरी गुड.” उन्होंने हैरानी से कहा.

”आप सबने होम वर्क कर लिया है?” जब होम वर्क वाला पीरियड आया, तो उन्होंने सबसे पूछा.

स्वभावतः सबने हां कहा था.

”मैंने 14 शब्द युग्मों में से किसी एक युग्म का वाक्य बनाने को कहा था, लीला ने सभी युग्मों के वाक्य बनाए हैं, इसलिए सबसे पहले लीला ही अपनी पसंद का वाक्य सुनाएगी.”

मैंने अपनी पसंद का वाक्य सुना दिया. बाद में सबने अपनी-अपनी पसंद का वाक्य सुनाया. 2-3 छात्राओं ने नं. 8 वाक्य ही तैयार किया था.

”मैंने आपको एक युग्म का वाक्य बनाने को कहा था, आपने सभी वाक्य क्यों बना दिए?” टीचर ने आखिर में मुझसे पूछा.

”हम यहां ज्ञान अर्जित करने के लिए आते हैं जितना अधिक ज्ञान अर्जित हो सके, अच्छा है. इसलिए मैंने सभी वाक्य लिख लिए थे.”

टीचर की शाबाशी के साथ ही मुझे डॉ राजेंद्र प्रसाद के बचपन का किस्सा याद आ गया. उनको निर्देशानुसार परीक्षा में 14 में से कोई 5 प्रश्न करने थे. उन्होंने सभी प्रश्नों का उत्तर लिखकर अंत में लिख दिया था- ”कृपया किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर जांचें.”


डॉ राजेंद्र प्रसाद जी के जन्मदिवस पर उनको हार्दिक नमन-
आज भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्मदिवस है। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 में कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था। सम्मान से उन्हें प्रायः ‘राजेन्द्र बाबू’ कहकर पुकारा जाता है।

चलते-चलते
आज ही हमारे छोटे पोते ऑनिश का भी जन्मदिन है. ऑनिश को जन्मदिन की कोटिशः बधाइयां और शुभकामनाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “यादों के झरोखे से- 30

  • लीला तिवानी

    प्रिय ऑनिश-
    ”जन्मदिवस की बधाई हो,
    खुशियों की शहनाई हो,
    उठे नज़र जिस ओर, जिधर भी,
    मस्त बहारें छाई हों.”

  • लीला तिवानी

    हमारे देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की प्रतिभा का कोई सानी नहीं. उनकी प्रतिभा के ऐसे-ऐसे अनेक किस्से और भी हैं. मुझे तो वे उस समय इसलिए याद आ गए, कि सब छात्राओं में से केवल मैं ही सभी वाक्य तैयार करके गई थी. यह मानसिक स्वास्थ्य बढ़ाने वाले वाक्य थे. अगला पाठ भी इन्हीं वाक्यों से संबंधित ऑस्ट्रेलिया में मानसिक स्वास्थ्य बढ़ाने का था.

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