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गुरू जी की चिन्ता

बड़ा या छोटा सभी के चेहरे पर चिन्ता की रेखाएं थी फिर गुरू जी तो कई जिम्मेदारियों को एक साथ निभा रहे थे अपनी अपने परिवार की अपने आस पड़ोस और अपने विद्यार्थियों की।जी हां बात ही कुछ ऐसी थी।बहत्तर साल में गुरू जी किसी युवा से कम फुर्तीले न थे सुबह जल्दी उठना दिनचर्या से निपट दण्ड बैठक योग व्यायाम आदि करना अब तक आदत में था।जहां इनसे बीस साल कम आयु के पोपले गाल और बेडौल बालों के मालिक बन गए।यह फिट होने के साथ हिट भी थे।हिट इसलिए कि कोई बीमारी अब तक पास न फटकी थी।

चेहरे पर चिन्ता व बेचैनी से चहल कदमी करते गुरू जी की यह दशा उनकी छोटी बेटी शेमुषी से छुप न सकी।उसने पूछ ही लिया पिताजी आखिर बात क्या है।आप आज इतना परेशान किसलिए ?

बेटी बात ही चिन्ता की है।मैंने अपने जीवन में कुछ होश संभालने के बाद 1961 से अब तक ग्यारह छोटी बड़ी महामारियों को आते-जाते देखा।पर आजकल जैसा डर बेचैनी कभी न हुई।

क्या बाप बेटी में बात चल रही है।कुछ हम भी तो जानें।पत्नी ने बीच में टोंकते हुए कहा,

ठीक है मेरी इतनी आयु ऐसे नहीं हुई।दुनियांदारी देखी है।भारत तो पूरा ही घूमकर देखा है।मैं अपनी बेटी से आजकल फैली कोरोना बीमारी के बारे में बात कर रहा था।गुरू जी ने अपनी श्रीमती को सन्तुष्ट करने का प्रयास करते हुए कहा

आजकल तो बहुत से साधन हैं माध्यम हैं लगातार सम्पर्क है।पल भर में कहीं भी बात सूचना पहुंचती है।समाचार मिल जाते हैं।पर पहले ऐसी बीमारियों कैसे आती थी आप तो जानते हैं कुछ बतायें।श्रीमती जी बोलीं

आप जानना चाहती हैं तो सुनिए मैं विस्तार से बताता हूं।गुरू जी ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा –

देखो जब किसी रोग का प्रकोप सामान्य की अपेक्षा बहुत अधिक होता है तो उसे महामारी कहते हैं।जब यह एक स्थान क्षेत्र या सीमित जनसंख्या भूभाग तक सीमित रहती है इपेडेमिक कहलाती है किन्तु जब इसका दूसरे देशों भूभागों या महाद्वीपों तक विस्तार हो जाता है तो यह पैनडेमिक कहलाती है।वर्तमान का कोरोना ऐसा ही है।विश्व स्वास्थय संगठन ने ऐसी ही महामारी घोषित किया है।

पिताजी हमारे देश में ऐसी महामारी कब-कब फैली।कुछ बतायें।शेमुषी ने अपनी जिज्ञासा व्यक्त की

तो सुनों अधिक पीछे न जाकर 1915 से शुरु करते हैं इस साल इंसेफेलाइटिस फैला था पर यह भारत में नाममात्र को पहुंचा।इसके बाद 1918 में प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल होने वाले कुछ सैनिक भारत आये तो अपने साथ स्पेनिश फ्लू नामक बीमारी यूरोप से लाये पर जल्दी ही काबू पा लिया गया।1961 में विशेषकर बंगाल के नमी वाले क्षेत्रों में हैजा फैला।काफी जाने गईं।1968 में फ्लू इन्फ्लूजा हांगकांग से फैलते हुए भारत आया।दो महीने में काबू हो गया इसके बाद 1974 में चेचक फैली जिसने लाखों लोगों के चेहरे खराब कर दिये।साठ प्रतिशत इसके मामले  अकेले भारत में थे ।

पिताजी अपने पड़ोस के चाचा के चेहरे पर गडढे जैसे धब्बे क्या चेचक के ही थे।सवाल करते हुए कुछ देर पहले आकर बैठी एकाग्रता ने कहा,

हां बेटी कई लोगों का चेहरा तो उनसे भी अधिक खराब हो गया।पर सरकार के प्रयासों से यह बीमारी अब जड़ से समाप्त हो चुकी है।

अच्छा पिताजी हम लोगों को बचपन में टीके क्या ऐसी ही बीमारियों के लगते हैं।

हां सरकार यह सब खसरा काली खांसी आदि के बिल्कुल मुफ्त आशा कार्यकत्रियों एनमों से लगवाती है।

पिताजी चेचक के बाद के बारे में बताओ मुझे जानना है।शेमुषी बोली

हां बताता हूं।वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी के राज्य गुजरात के सूरत से 1994 में प्लेग की शुरुआत हुई।लोगों ने अनाज छुपाकर अन्नसंकट पैदा कर दिया था।उसके बाद 2002 में सार्स फैला।

आप जब पांच साल की थी तो 2006 डेंगू चिकनगुनियां फैला जिसके सबसे अधिक मरीज दिल्ली में थे।2009 में गुजरात से हैपेटाइटिस फैला।इसी से मिला-जुलता 2014 में पीलिया ओड़िसा में फैला।2015 में स्वाइन फ्लू मुर्गियों से 2017 में एन्सेफ्लाइटिस आया जिसने अकेले गोरखपुर में काफी बच्चों की जान ली।बच्चों चमगादड़ों ने 2018 में केरल से निपाह संक्रमण फैलाया।

गुरू जी ने जैसे महामारियों का इतिहास बच्चों के सामने रख दिया।

अच्छा मैं चलकर कुछ काम देखती हूं।आप बच्चों से बातें करों श्रीमती जी ने उठकर जाते हुए कहा।

बच्चों एक बात सबसे महत्वपूर्ण है कि भारत में पिछले तीस सालों में जितनी भी इस तरह की बीमारियां फैलीं उनको उचित स्वच्छता नियमित दिनचर्या से नियंत्रित करने की बड़ी भूमिका रही।

पिताजी कई बार टीवी में आया कि कोरोना भी चमगादड़ों से आया और चीन से पूरे विश्व में फैला।बड़ी बेटी एकाग्रता ने पूछा

जी बेटी कुछ ऐसी चर्चा चल तो रही है पर बिना जांच पड़ताल के सच मान लेना समझदारी नहीं है।फिलहाल तो वर्तमान में विश्व जिस तरह के संक्रमण से गुजर रहा है उस पर विजय पाना है।अपने आपको बचाना है।कुछ देशों ने दवा देना आरम्भ कर दिया है।भारत में अगले कुछ सप्ताह में टीकाकरण आरम्भ होने वाला है।

पिताजी आज से पहले इस तरह की समस्या नहीं आयी कि लाकडाऊन लगे बच्चे घरों में कैद हो जायें।विद्यार्थी महीनों स्कूलों न जाएं आनलाइन पढ़ाई हो।तरह-तरह के एप माध्यम पढ़ने के उपलब्ध हो जायें।सही सूचनाओं के साथ गलत भ्रामक सूचनाएं समाचार भी फैलें।शेमुषी ने अपनी शंका जाहिर की।

जी बात आप की सही है।एक साल से अधिक समय हुआ।कोरोना ने लोगों की दौड़ती-भागती जिन्दगी रोक दी।उस पर अचानक ब्रेक लगा दिया है।विद्यार्थी घरों में कैद हैं।स्कूल तो जा नहीं पा रहे।ऊपर से खेलकूद बन्द।तन और मन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।हर समय घर में रहने से बच्चे अपनी पढ़ाई-लिखाई की समस्या के साथ -साथ अपने माता पिता के सामने आयी समस्याओं कठिनाईयों से अवगत हो जा रहे हैं।

तब करना क्या चाहिए कि विद्यार्थियों की यह आयु उनका भविष्य प्रभावित न हो। एकाग्रता बोली

जी सुनो घर पर रहकर बच्चे किस प्रकार की भावनाओं को अभिव्यक्ति कर रहे हैं।व्यवहार में कैसा बदलाव है।चिन्ता,उदासी,मनोरंजन,चिड़चिड़ापन या शरीर में कहीं दर्द, किसी से नोंक-झोक आदि पर घर के सदस्यों व उनके शिक्षकों को ध्यान देना है।उनसे इन सब पर चर्चा करनी है।उनको समझना है।साथ ही बच्चों के घर में रहने का यह अवसर उनके भविष्य के निर्माण का सुअवसर बना देना है।

पिताजी सबसे अधिक समझने की स्थिति विद्यार्थियों की है।उन पर घर से स्कूल का ऊपर से अच्छे परीक्षा परिणाम का दबाव है।आपको तो उनके साथ रहने का अनुभव है।विस्तार से बताओं ?

जी बेटी एकाग्रता आपकी चिन्ता स्वाभाविक है क्योंकि आप भी तो उसी आयुवर्ग से हो।ठीक है मैं बताता हूं ध्यान से सुनो –

सबसे पहला काम है शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना इसके लिए अपनी दिनचर्या व्यवस्थित करनी पड़ेगी।समय से जागना,समय से सोना, समय पर पौष्टिक आहार लेना, योग-व्यायाम करना तथा थोड़ा भी सन्देह होने पर नियमित स्वास्थय जांच करवाना घर परिवार का दायित्व है कि स्वंय भी ऐसा करें और अपने बच्चों से भी करायें।

कारोना महामारी ने अवसर दिया है तो अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ना माडल बनाना, भोजन बनाना,घरेलू कामों साफ-सफाई बागबानी,पौधों में पानी देना आदि करके सीखना।मित्रों रिश्तेदारों से फोन पर बात करना। सवाल-जबाब करना आदि।विद्यार्थियों को उनकी उदासी चिन्ता से घर और विद्यालय दोनों मिलकर निकाल सकते हैं।

बच्चों यही नहीं साथ में टीवी देखना कार्ड लूडो कैरम शतरंज अन्त्याक्षरी जैसे घरेलू खेल खेलकर समय का उपयोग हो सकता है।साथ ही शिक्षकों की सहायता से घरेलू गतिविधियां पहेली बनाना,कहना,कविता कहानी स्लोगन चुटकुले पेंटिंग खेल-खिलौने आदि के काम उनको सिखाने के साथ मनोरंजन के काम भी करेंगे।वह अपनी कोरोना सम्बन्धी जानकारी शंकायें लिख सकते है बोल सकते हैं पत्रिका बना सकते हैं।

इसी में देश के कोरोना योद्धाओं केरल के 93 व 88 साल के वृद्ध पति-पत्नी,मध्यप्रदेश बागोटा की 49 साल की अंजना तिवारी,इसी राज्य की 38 साल की कविता अग्रवाल व बिहार शेखपुरा से 52 साल की सहायक नर्स किरण कुमारी की कहानी सुनाकर एक उत्साह पैदा किया जा सकता है।बच्चों यह किसी एक की नहीं सबकी जिम्मेदारी है।गुरू जी ने रुकते हुए कहा,

पिताजी भोजन का समय हो रहा है पर अभी बात पूरी नहीं हुई।हम और क्या कर सकते जब तब दवाई नहीं तक ढिलाई नहीं की भावना रखते हुए।शेमुषी ने गम्भीर होते हुए पूछा –

ठीक है बेटी बतालाता हूं आज बच्चो ही नहीं,उनके शिक्षक,माता-पिता,अभिभावक तक तनाव में आ गए हैं।सभी को पर्याप्त सहायता की आवश्यकता है।नही तो सब पर बुरा असर होगा।मैं तो कहूंगा कि सभी समय के साथ अपने को बदलते रहें।जानकारी रखें।अफवाहों,झूठी-खबरों से बचें।अधिक जानकारी चिन्ता का कारण बनती है।इसलिए सोशल मीडिया,टीवी देखने आदि का समय निश्चित करें।सभी हाथ धोने का विशेष ध्यान रखें खांसते-छींकते समय मुंह ढकें।किसी भी सामाजिक सभा भीड़ में जाने से बचें।

यहीं नहीं अभिभावक व शिक्षक स्वंय तो चिन्ता मुक्त रहें ही,अपने विद्यार्थियों बच्चों से समय-समय पर बात करते रहें।उनका अनुभव मन की बात जिज्ञासा पूंछे।बार-बार यह विश्वास दिलायें कि वह सुरक्षित हैं किसी प्रकार भ्रमित होने अथवा परेशान होने का आवश्यकता नहीं।

विद्यार्थी चूंकि सबसे अधिक अपने गुरुजनों पर विश्वास करतें हैं अतः वह अपने आचरण व्यवहार से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें कि बच्चे अनुकरण कर हर तरह से आगे बढ़ें।गुरू जी ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा

तो पिताजी आपने सब बता ही दिया।चलिए अब भोजन करते हैं।ठीक है बच्चों एक बार पुनः जब तक दवाई नहीं किसी प्रकार की ढिलाई नहीं दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी।जी पिताजी जी पिताजी,यह कहते हुए शेमुषी और एकाग्रता अपने पिताजी के साथ भोजन के लिए बढ़ गए।

 

*शशांक मिश्र भारती

परिचय - शशांक मिश्र भारती नामः-शशांक मिश्र ‘भारती’ आत्मजः-स्व.श्री रामाधार मिश्र आत्मजाः-श्रीमती राजेश्वरी देवी जन्मः-26 जुलाई 1973 शाहजहाँपुर उ0प्र0 मातृभाषा:- हिन्दी बोली:- कन्नौजी शिक्षाः-एम0ए0 (हिन्दी, संस्कृत व भूगोल)/विद्यावाचस्पति-द्वय, विद्यासागर, बी0एड0, सी0आई0जी0 लेखनः-जून 1991 से लगभग सभी विधाओं में प्रथम प्रकाशित रचना:- बदलाव, कविता अक्टूबर 91 समाजप्रवाह मा0 मुंबई तितली - बालगीत, नवम्बर 1991, बालदर्शन मासिक कानपुर उ0प्र0 -प्रकाशित पुस्तकें हम बच्चे (बाल गीत संग्रह 2001) पर्यावरण की कविताएं ( 2004) बिना बिचारे का फल (2006/2018) क्यो बोलते है बच्चे झूठ (निबध-2008/18)मुखिया का चुनाव (बालकथा संग्रह-2010/2018) आओ मिलकर गाएं(बाल गीत संग्रह 20011) दैनिक प्रार्थना(2013)माध्यमिक शिक्षा और मैं (निबन्ध2015/2018) स्मारिका सत्यप्रेमी पर 2018 स्कूल का दादा 2018 अनुवाद कन्नड़ गुजराती मराठी संताली व उड़िया में अन्यभाषाओं में पुस्तकें मुखिया का चुनाव बालकथा संग्रह 2018 उड़िया अनुवादक डा0 जे.के.सारंगी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन -जून 1991 से हास्य अटैक, रूप की शोभा, बालदर्शन, जगमग दीपज्योति, देवपुत्र, विवरण, नालन्दा दर्पण, राष्ट्रधर्म, बाल साहित्य समीक्षा, विश्व ज्योति, ज्योति मधुरिमा, पंजाब सौरभ, अणुव्रत, बच्चों का देश, विद्यामेघ, बालहंस, हमसब साथ-साथ, जर्जर कश्ती, अमर उजाला, दैनिक जनविश्वास, इतवारी पत्रिका, बच्चे और आप, उत्तर उजाला, हिन्दू दैनिक, दैनिक सबेरा, दै. नवज्योति, लोक समाज, हिन्दुस्तान, स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण, बालप्रहरी, सरस्वती सुमन, बाल वाटिका, दैनिक स्वतंत्र वार्ता, दैनिक प्रातः कमल, दैं. सन्मार्ग, रांची एक्सप्रेस, दैनिक ट्रिब्यून, दै.दण्डकारण्य, दै. पायलट, समाचार जगत, बालसेतु, डेली हिन्दी मिलाप उत्तर हिन्दू राष्ट्रवादी दै., गोलकोण्डा दर्पण, दै. पब्लिक दिलासा, जयतु हिन्दू विश्व, नई दुनिया, कश्मीर टाइम्स, शुभ तारिका, मड़ई, शैलसूत्रं देशबन्धु, राजभाषा विस्तारिका, दै नेशनल दुनिया दै.समाज्ञा कोलकाता सहित देश भर की दो सौ से अधिक दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत। अन्तर जाल परः- 12 अगस्त 2010 से रचनाकार, साहित्य शिल्पी, सृजनगाथा, कविता कोश, हिन्दी हाइकु, स्वर्गविभा, काश इण्डिया ,मधेपुरा टुडे, जय विजय, नये रचनाकार, काव्यसंकलन ब्लाग, प्रतिलिपि साहित्यसुधा मातृभाषाडाटकाम हिन्दीभाषा डाटकाम,युवाप्रवर्तक,सेतु द्विभाषिक आदि में दिसम्बर 2018 तक 1000 से अधिक । ब्लागसंचालन:-हिन्दी मन्दिरएसपीएन.ब्लागपाट.इन परिचय उपलब्ध:-अविरामसाहित्यिकी, न्यूज मैन ट्रस्ट आफ इण्डिया, हिन्दी समय मा. बर्धा, हिन्दुस्तानी मीडियाडाटकाम आदि। संपादन-प्रताप शोभा त्रैमा. (बाल साहित्यांक) 97, प्रेरणा एक (काव्य संकलन 2000), रामेश्वर रश्मि (विद्यालय पत्रिका 2003-05-09), अमृतकलश (राष्ट्रीय स्तर का कविता संचयन-2007), देवसुधा (प्रदेशस्तरीय कविता संचयन 2009),देवसुधा (अ भा कविता संचयन 2010), देवसुधा-प्रथम प्रकाशित कविता पर-2011,देवसुधा (अभा लघुकथा संचयन 2012), देवसुधा (पर्यावरण के काव्य साहित्य पर-2013) देवसुधा पंचम पर्यावरणविषयक कविताओं पर 2014 देवसुधा षष्ठ कवि की प्रतिनिधि काव्यरचना पर 2014 देवसुधा सात संपादकीय चिंतन पर 2018 सह संपादन लकड़ी की काठी-दो बालकविताओं पर 2018 आजीवन.सदस्य/सम्बद्धः-नवोदित साहित्यकार परिषद लखनऊ-1996 से -हमसब साथ-साथ कला परिवार दिल्ली-2001 से -कला संगम अकादमी प्रतापगढ़-2004 से -दिव्य युग मिशन इन्दौर-2006 से -नेशनल बुक क्लव दिल्ली-2006 से -विश्व विजय साहित्य प्रकाशन दिल्ली-2006 से -मित्र लोक लाइब्रेरी देहरादून-15-09-2008 से -लल्लू जगधर पत्रिका लखनऊ-मई, 2008 से -शब्द सामयिकी, भीलबाड़ा राजस्थान- -बाल प्रहरी अल्मोड़ा -21 जून 2010 सेव वर्जिन साहित्य पीठ नई दिल्ली 2018 से संस्थापकः-प्रेरणा साहित्य प्रकाशन-पुवायां शाहजहांपुर जून-1999 सहसंस्थापक:-अभिज्ञान साहित्यिक संस्था बड़ागांव, शाहजहांपुर 10 जून 1991 प्रसारणः- फीबा, वाटिकन, सत्यस्वर, जापान रेडियो, आकाशवाणी पटियाला सहयोगी प्रकाशन- रंग-तरंग(काव्य संकलन-1992), काव्यकलश 1993, नयेतेवर 1993 शहीदों की नगरी के काव्य सुमन-1997, प्रेरणा दो 2001 प्यारे न्यारे गीत-2002, न्यारे गीत हमारे 2003, मेरा देश ऐसा हो-2003, सदाकांक्षाकवितांक-2004, सदाकांक्षा लघुकथांक 2005, प्रतिनिधि लघुकथायें-2006, काव्य मंदाकिनी-2007, दूर गगन तक-2008, काव्यबिम्ब-2008, ये आग कब बुझेगी-2009, जन-जन के लिए शिक्षा-2009, काव्यांजलि 2012 ,आमजन की बेदना-2010, लघुकथा संसार-2011, प्रेरणा दशक 2011,आईनाबोलउठा-2012,वन्देमातरम्-2013, सुधियों के पल-2013, एक हृदय हो भारत जननी-2015,काव्यसम्राटकाव्य एवं लघुकथासंग्रह 2018, लकड़ी की काठी एक बालकाव्य संग्रह 2018 लघुकथा मंजूषा दो 2018 लकड़ी की काठी दो 2018 मिली भगत हास्य व्यंग्य संग्रह 2019 जीवन की प्रथम लघुकथा 2019 आदि शताधिक संकलनों, शोध, शिक्षा, परिचय व सन्दर्भ ग्रन्थों में। परिशिष्ट/विशेषांकः-शुभतारिका मा0 अम्बाला-अप्रैल-2010 सम्मान-पुरस्कारः-स्काउट प्रभा बरेली, नागरी लिपि परिषद दिल्ली, युगनिर्माण विद्यापरिषद मथुरा, अ.भा. सा. अभि. न. समिति मथुरा, ए.बी.आई. अमेरिका, परिक्रमा पर्यावरण शिक्षा संस्थान जबलपुर, बालकन जी वारी इण्टरनेशनल दिल्ली, जैमिनी अकादमी पानीपत, विन्ध्यवासिनी जन कल्याण ट्रस्ट दिल्ली, वैदिकक्रांति परिषद देहरादून, हमसब साथ-साथ दिल्ली, अ.भा. साहित्य संगम उदयपुर, बालप्रहरी अल्मोड़ा, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद, कला संगम अकादमी प्रतापगढ़, अ. भा.राष्ट्रभाषा विकास संगठन गाजियाबाद, अखिल भारतीय नारी प्रगतिशील मंच दिल्ली, भारतीय वाङ्मय पीठ कोलकाता, विक्रमशिला विद्यापीठ भागलपुर, आई.एन. ए. कोलकाता हिन्दी भाषा सम्मेलन पटियाला, नवप्रभात जनसेवा संस्थान फैजाबाद, जयविजय मासिक, काव्यरंगोली साहित्यिक पत्रिका लखीमपुर राष्ट्रीय कवि चौपाल एवं ई पत्रिका स्टार हिन्दी ब्लाग आदि शताधिक संस्था-संगठनों से। सहभागिता-राष्ट्रीय- अन्तर्राष्टीय स्तर की एक दर्जन से अधिक संगोष्ठियों सम्मेलनों-जयपुर, दिल्ली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, देहरादून, अल्मोड़ा, भीमताल, झांसी, पिथौरागढ़, भागलपुर, मसूरी, ग्वालियर, उधमसिंह नगर, पटियाला अयोध्या आदि में। विशेष - नागरी लिपि परिषद, राजघाट दिल्ली द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-1996 -जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2003 में प्रथम स्थान -हम सब साथ-साथ नई दिल्ली द्वारा युवा लघुकथा प्रतियोगिता 2008 में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान। -सामाजिक आक्रोश पा. सहारनपुर द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2009 में सराहनीय पुरस्कार - प्रेरणा-अंशु द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2011 में सांत्वना पुरस्कार --सामाजिक आक्रोश पाक्षिक सहारनपुर द्वारा अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2012 में सराहनीय पुरस्कार -- जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 16 वीं अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2012 में सांत्वना पुरस्कार ,जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 24 वीं अ.भा. लघुकथा प्रतियोगिता 2018 में सांत्वना पुरस्कार सम्प्रति -प्रवक्ता संस्कृत:-राजकीय इण्टर कालेज टनकपुर चम्पावत उत्तराखण्ड स्थायी पताः- हिन्दी सदन बड़ागांव, शाहजहांपुर- 242401 उ0प्र0 दूरवाणी:- 9410985048, 9634624150 ईमेल shashank.misra73@rediffmail.com/ devsudha2008@gmail.com