लघुकथा

संकल्प

मेरी बेटी की बेटी का सातवां जन्मदिन था। जन्मदिन पर उसके हाथ से समीप के किसी बालिका सरकारी स्कूल में स्टेशनरी एवम बिस्किट इत्यादि बंटवाया करता था। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद होने के कारण हम दोनों समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती मरीजों के लिए फल एवम बिस्किट बांटने गए ताकि बचपन से उसे परोपकार के संस्कार मिलें। सभी मरीजों इस नन्हीं बालिका को आशीर्वाद दे रहे थे। वह भी बहुत प्रसन्न थी। अचानक उसने कहा कि नाना जी अभी 26 दिसंबर को आपके बर्थडे पर  भी आपके साथ यहां आयी थी एवं जब आप खून दे रहे थे तब मैंने आपकी फोटो भी ली थी। आज मैं भी खून दूंगी और आप मेरी फोटो लेना। मै मुस्कराकर रह गया। बोला रक्तदान के लिए 18 वर्ष की उम्र होना आवश्यक है। अभी तुम बहुत छोटी हो। बड़ी हो जाओ तब देना। वह कुछ मायूस हो गई। डॉक्टर ने भी उसे जब यही समझाया तब वह कुछ शांत हुई। फिर भी उसने संकल्प लिया की नाना जी जिस दिन मै 18 वर्ष की होऊंगी उस दिन अपने जीवन का पहला रक्तदान कर अपना अठारहवां बर्थडे मनाऊंगी। नन्हीं सी बालिका के इस संकल्प पर सभी हतप्रभ थे। एक समाचार पत्र का पत्रकार भी वहां उपस्थित था। उसने मेरी बेटी की बेटी से कहा की तुम हमारे ऑफिस में फोन कर देना हम तुम्हारा फोटो लेकर अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करेंगे ताकि अन्य युवा लड़कों एवम लड़कियों को भी तुमसे प्रेरणा मिलेगी। वह बहुत खुश हुई । अंकल को धन्यवाद के साथ अपने आज के बर्थडे की चॉकलेट भी दी।

— दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी