स्वास्थ्य

एच आई वी लाइलाज है, जानलेवा नहीं

एड्स एक विश्वव्यापी समस्या है जिससे विश्व के सभी देश चिंतित हैं। एचआईवी वायरस मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है जब व्यक्ति का रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाता है तो उसे अनेक अवसरवादी संक्रमण हो जाता है इस स्थिति को एड्स कहते हैं। दुनिया में 38 मिलियन लोग एचआईवी संक्रमित हैं जिनमें से 25.4 मिलियन लोग ए आर टी ड्रग ले रहे हैं। अब तक एचआईवी/ एड्स से 32.7 मिलियन लोगों की मृत्यु हो चुकी है। प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में 1.7 मिलियन एचआईवी का नया संक्रमण होता है। दुनिया में कुल संक्रमित मरीजों में 18 मिलियन बच्चे हैं । भारतवर्ष में कुल एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या 2.1 मिलियन है जिसमें से 880000 महिलाएं हैं तथा बच्चों की संख्या 145000 है। भारतवर्ष में प्रतिवर्ष 75000 नए मरीज संक्रमित होते हैं। 2017 में भारतवर्ष में कुल 69000 मरीजों की मृत्यु हो गई।2010 से 2019 के बीच एचआईवी संक्रमण की दर में 23% की कमी आई है।

उत्तर प्रदेश में एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों की संख्या लगभग डेढ़ लाख है। प्रतिवर्ष उत्तर प्रदेश में लगभग 9000 से अधिक लोग नये संक्रमित होते हैं तथा 5000 के आसपास लोगों की मृत्यु होती है।
*एचआईवी संक्रमण होता है:-*
# असुरक्षित यौन संबंध
# इंजेक्शन का साझा प्रयोग
# एचआईवी संक्रमित रक्त का उपयोग करने
# एचआईवी संक्रमित मां से बच्चे में

उपरोक्त के अलावा किसी अन्य माध्यम से एचआईवी का संक्रमण नहीं होता है। 86% एचआईवी का संक्रमण असुरक्षित यौन संबंध, 3.6% संक्रमित मां से बच्चों में, 2% एचआईवी संक्रमित रक्त का उपयोग करने एवं 6% अन्य माध्यमों से होता है।
*एचआईवी नहीं फैलता है:-*
# साथ में रहने से
# साथ में खेलने-कूदने से
# कपडों के साझा प्रयोग करने से
# आलिंगन करने से
# चुंबन करने से
# मच्छर काटने से
# तालाब या स्विमिंग पूल में नहाने से
# एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के छूने से।
*एचआईवी संक्रमण में सामान्य लक्षण:-*
बुखार
खांसी
पतला दस्त
वजन कम होना
मुंह में छाले पड़ना
किंतु उपरोक्त लक्षण अन्य बीमारियों में भी हो सकते हैं लक्षण के आधार पर किसी भी व्यक्ति के एचआईवी संक्रमित होने की स्थिति निर्धारित नहीं की जा सकती है, इसके लिए उसे एचआईवी जांच कराना चाहिए सिर्फ रक्त जांच से ही किसी की एचआईवी की स्थिति निर्धारित की जा सकती है। एचआईवी की जांच सभी सरकारी अस्पतालों में नाको द्वारा संचालित *समेकित परामर्श एवं जांच केंद्र (आईसीटीसी)* में नि:शुल्क की जाती है तथा साथ में एचआईवी संबंधित परामर्श भी प्रदान किया जाता है। एचआईवी पॉजिटिव आने पर व्यक्ति को इलाज हेतु ए आर टी एवं डॉट सेंटर संदर्भित किया जाता है। व्यक्ति की पहचान पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है।

*एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी:-*

नाको, भारत सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पतालों में एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी सेंटर खोले गए हैं जहां पर एचआईवी संक्रमित मरीजों को एंटीरिट्रोवायरल ड्रग नि:शुल्क प्रदान किया जाता है। ए आर टी सेंटर में चिकित्सक एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को न केवल एचआईवी की चिकित्सा प्रदान करते हैं बल्कि अवसरवादी संक्रमण जैसे- टीबी, खांसी, बुखार, डायरिया इत्यादि का भी इलाज किया जाता है। एआरवी ड्रग एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को जीवनभर, सही समय पर एवं सही डोज में खाना होता है। परामर्शदाता उन्हें दवाओं से संबंधित परामर्श के साथ-साथ उन्हें जीवन के सभी पक्षों से संबंधित परामर्श तथा जीवन जीने का हुनर प्रदान करते हैं।

*पीपीटीसीटी सेंटर:-*

प्रीवेंशन आफ पैरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमीशन सेंटर मेडिकल कॉलेज एवं जिला चिकित्सालय में नाको द्वारा संचालित किया जाता है जिसमें गर्भवती महिलाओं का नि:शुल्क एचआईवी परामर्श व जांच किया जाता है तथा एचआईवी संक्रमित महिलाओं को ए आर र्टी सेंटर संदर्भित किया जाता है जहां पर उन्हें नि:शुल्क की एआटी ड्रग प्रदान किया जाता है। यदि संक्रमित महिला सही समय पर जांच करा ले और नियमित एआरटी की दवा खाए तथा डॉक्टर के देखरेख में प्रसव कराए तो इससे उसके बच्चे में संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है। एचआईवी संक्रमित महिला से पैदा होने वाले बच्चों को *अर्ली इन्फेंट डायग्नोस्टिक (ईआईडी)* कार्यक्रम के तहत 18 माह तक जांच एवं इलाज की सुविधा प्रदान की जाती है।

*सुरक्षा क्लिनिक:-*
नाँको द्वारा संचालित सुरक्षा क्लिनिक में यौन संचारित रोगों का नि:शुल्क परामर्श तथा दवाई प्रदान की जाती हैं। यौन संचारित रोग होने पर एचआईवी के संक्रमण का जोखिम बहुत अधिक होता है।

*पीईपी:-* पोस्ट एक्स्पोज़र प्रोफाइलेक्सीस स्वास्थ्य कर्मियों को एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों से एक्स्पोज (रक्त, शारीरक द्रव्य, संक्रमित सुई के संपर्क) होने पर प्रदान की जाती है पीईपी एक्स्पोज़र होने के 72 घंटे के अंदर शुरू करना होता है तथा यह 28 दिन तक चलता है। पीईपी लेने से एचआईवी का संक्रमण का खतरा समाप्त हो जाता है।

*कंडोम:-* कंडोम गर्भनिरोध के साधन के साथ-साथ एचआईवी संक्रमण को रोकने का भी कारगर हथियार है। एचआईवी संक्रमित कुल जनसंख्या में 86% संक्रमण असुरक्षित यौन संबंध के कारण होता है। कंडोम का सही प्रयोग संभोग के दौरान करने पर व्यक्ति में एचआईवी संक्रमण की संभावना बहुत कम होती है पर यह ध्यान रखना चाहिए कि कंडोम के सावधानीपूर्वक प्रयोग किए जाने के बाद भी संक्रमण के खतरे को पूरी तरह से समाप्त नहीं होता है इसलिए *संयम एवं वफादारी सबसे बेहतर उपाय है* कंडोम यौन संचारित रोगों के संक्रमण से भी बचाव करता है।
प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है इस अवसर पर लोगों को एचआईवी संक्रमण से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ एचआईवी से संक्रमित व्यक्तियों के अधिकार तथा उनके लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी प्रदान की जाती है। कोरोना महामारी के बीच इस वर्ष विश्व एड्स दिवस का नारा है: *एचआईवी/एड्स महामारी का अंत : प्रतिरोधक क्षमता और प्रभाव*। यद्यपि की एचआईवी/एड्स के क्षेत्र में अनेक खोज हुए हैं किंतु अभी भी एचआईवी/एड्स की कोई वैक्सीन नहीं बनी है तथा इसकी जो भी दवाएं हैं वह इसका इलाज नहीं है। उपलब्ध दवाएं केवल व्यक्ति के जीवन काल तथा उसके गुणवत्ता में सुधार के लिए दी जाती है। अतः व्यक्ति संयम, वफादारी एवं सावधानी रखकर एचआइवी संक्रमण से बचा रह सकता है।

डॉ. मनोज कुमार तिवारी

वरिष्ठ परामर्शदाता ए आर टी सेंटर, एस एस हॉस्पिटल आई एम एस, बीएचयू वाराणसी