गजल
सुनो हमसे वो बात करते है
और जुबां वाले खामोश बैठे हैं
बिछड़कर हम मरे नहीं उनसे
यानी वो सचमुच में वो झूठे हैं
जिनके दिल भरे हुए हैं नफरत से
देखो तो वो हमको बुरा कहते हैं
जिनको हम कभी भी नहीं भाये
उनके जुबां पर भी मेरे शेर आते है
जहां का दौर कैसा आया है
रकीबअब यार बनके मिलते हैं