रह जाते बेनाम
होते है बस नाम के, रह जाते बेनाम ।
रिश्ते इंटरनेट के , आते कब हैं काम ।।
जबरन पकडे हाथ से, धागे ये कमजोर।
मन में आप विचारना, जाओगे किस ओर ।।
चैट वैट के जाल मेंं, प्रिय खुद को मत फांस ।
झूठ मूठ के मोह से , करना क्यों है आस ।।
मतलब का संसार ये, मतलब का है यार।
मतलब से ही जान लो, रिश्ता है या प्यार ।।
— साधना सिंह