कविता

खामोशी

मेरी खामोशी ही
मेरा ईमान धर्म है,
मगर गफलत मत पालिए
कि मैं कमजोर हूँ।
न मैं कमजोर था
न कमजोर हूँ
न कमजोर रहूंगा।
मेरी खामोशी
आप पर सदा भारी रहेगी,
दोस्तों से तो दोस्ती
मगर
जुल्म, अन्याय, अनाचारियों पर
बहुत भारी पड़ेगी।
मेरी खामोशी से
टकराने की भूल मत करना
वरना बहुत पछताओगे,
मेरी खामोशी की ताकत से
बच भी नहीं पाओगे।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921