कविता

जीवन

 

रोते हुए आना
सबकी दुआएँ लेना
हर्षोल्लास में सबको
मुस्कुराहट देना

जन्म

किलकारियों से गुंजायमान आंगन
खुशियों में सब निहराते एक दर्पण
शुभकामनाओं का दर पर आना
बधाई हो बधाई हो सबको बताना

बचपन

जिम्मेदारियों से कोसो दूर
अठखेलियों का अनंत सागर
खट्टे मिठ्ठे अनुभवों से देख
भरी हुई है बचपन की गागर

युवावस्था

कुछ कर दिखाने की होड़ में
जीवन संघर्ष है अब इस दौड़ में
हार नहीं मानूँगा, लक्ष्य को ठानूगाँ
आड़े जो सामने किसी भी मोड़ में

बुढापा

झुर्रियों से पटा हुआ चेहरा
अनुभवों का अटूट पेहरा
सासों का धीरे-धीरे छनना
आखों के आगे परिवार बनना

मृत्यु

एक सत्य जिससे सारी उम्र भागे
मोक्ष मिलेगा या कुछ और है आगे
वक्त का बनना एक पहचान बनाना
सभी को पीछे रोते हुए छोड़ जाना

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733