कविता

ताल से ताल

आइये सब मिलकर
ताल से ताल मिलाते हैं,
नवप्रभात का नया सूर्य
मिलकर उगाते हैं।
मन,वाणी कर्म से
मतभेद मिटाते हैं,
नयी परिकल्पना का
सूत्रधार बन आगे आते हैं।
सबके मन में
सुंदर, स्वच्छ सरल भाव जगाते हैं,
दुनिया समाज में
परिवर्तन की अलख जगाते हैं।
सब मिलकर नया इतिहास रचाते हैं,
दुनियां को खुशहाल बनाना है
इस सोच के साथ
सब मिल जुलकर कदम उठाते हैं।
◆ सुधीर श्रीवास्तव

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921