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विचार विमर्श- 8

इस शृंखला के इस भाग में कुछ विचार होंगे और उन पर हमारा विमर्श होगा. आप भी कामेंट्स में अपनी राय लिख सकते हैं-

1.क्या जागरूकता को ही ध्यान कहते हैं?

जागरूकता और ध्यान ही भले मिलते-जुलते शब्द लगते हैं, पर उनके अर्थ और रूप में बहुत अंतर है. जागरूकता शब्द का प्रयोग प्रमुखतः नींद से जागने के अर्थ में किया जाता है. यह नींद शरीर की भी हो सकती है, अज्ञान की भी. शारीरिक रूप से जागना तो जागरूकता है ही, अज्ञान को हटाकर ज्ञान प्राप्त करना भी जागरूकता है.
ध्यान अपने मन के प्रति जागरूक होने की साधारण-सी प्रक्रिया है. मन को वश में करने का प्रयास ही ध्यान कहलाता है. सामान्यतया ध्यान को बहुत जटिल प्रक्रिया मानकर इसके लिए अलग से समय न निकाल पाने की विवशता जाहिर की जाती है, पर ग़ौर से देखा जाए, तो ध्यान के लिए अलग से समय निकालने की आवश्यकता ही नहीं है. जो भी काम किया जाए, उसमें हमारा ध्यान केंद्रित होना चाहिए.
रोजमर्रा के एक उदाहरण से इस बात को समझने का प्रयास करते हैं. दूध उबालते समय हम दूध को उबलकर गिरने न देने के लिए बहुत जागरूक होकर ध्यान रखते हैं, पर कभी-कभी ऐन वक्त पर हमारा ध्यान इधर-उधर हो जाता है और दूध उबलकर गिर जाता है. एकाग्र होकर ध्यान केंद्रित करना ही जागरूकता कहलाता है, चाहे वह शरीर-सांस के प्रति हो, या किसी विषय-कार्य के प्रति. जागरूकता उर ध्यान एक दूसरे के पूरक हैं.

2.घड़ीसाजों की घड़ियों में अक्सर क्या टाइम होता है? कारण भी लिखिए-

आपने घड़ियों के कई विज्ञापन देखे होंगे लेकिन कभी आपने गौर किया है कि विज्ञापन में दिखाई जाने वाली या किसी स्टोर में घड़ी की सुई 10.10 पर क्यों अटकी होती है। शायद नहीं पता होगा, इसके बहुत से कारण हैं लेकिन हम आपको कुछ कारण यहां पर बताएंगे कि ऐसा क्यों होता है।

सबसे पहली बात इस समय पर आप घड़ी को देखेंगे तो आपको ये लगेगा कि घड़ी मुस्कुरा रही है। आपने हंसने वाली स्माइली देखी होगी, जब घड़ी में 10.10 का समय होता है तो वो भी ऐसी ही लगती है। बहुत से कारणों में एक कारण ये भी है।
सबसे अहम कारण विज्ञापनों दिखाई जाने वाली घड़ियों में इस समय पर ब्रांड का नाम और लोगो साफ साफ दिखता है।
कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि जिस वक़्त पहली घड़ी बनी थी या पूरी हुई थी, उस वक़्त यही समय हो रहा था। इसलिए घड़ी का Default टाइम 10:10 ही सेट कर दिया गया है।

3.विचारों में उदारता क्यों आवश्यक है?

’गति’ के लिए ‘चरण’
और
‘प्रगति’ के लिए ‘आचरण’ बहुत जरूरी है.
मनुष्य जीवन को प्रगतिशील, सफल और उन्नत बनाने वाले अनेक गुण हैं जैसे सच्चाई, न्यायप्रियता, धैर्य, दृढ़ता, साहस, दया, क्षमा, परोपकार आदि. उदारता एक महान गुण है. उदारता मनुष्य के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के साथ-साथ प्रेम का परिष्कृत रूप भी है. उदार मनुष्य दूसरे से प्रेम अपने स्वार्थ साधन हेतु नहीं करता, वरन उनके कल्याण और अपने स्वभाव के कारण करता है. इससे उदारता युक्त प्रेम सेवा का रूप धारण कर लेता है. उदार मनुष्य दूसरे के दुख से दुखी होता है. उदारता से मनुष्य की मानसिक शक्तियों का अद्भुत विकास होता है. ऐसे व्यक्ति नर श्रेष्ठ कहे जाते हैं. उदारता एक दैवीय गुण है, जो सबके कल्याण में अपना कल्याण देखने में समर्थ बनाता है. सचमुच उदार व्यक्ति का कल्याण प्रकृति और दैवीय शक्ति स्वयं ही कर देती है. उदार पुरुष सदा दूसरों के विचारों का आदर करता है और समाज में सेवक भाव से रहता है. केवल धन से उदारता ही उदारता नहीं है, सच्ची उदारता इस बात में है कि मनुष्य को मनुष्य समझा जाए. इसके अतिरिक्त यह भी आवश्यक है, कि उपकृत के प्रति किसी प्रकार का अहसान न जताया जाए. अहसान दिखाना उपकृत को नीचा दिखाना है. अहसान जताकर उपकार करना अनुपकार है. आज संसार सोनू सूद जैसे निष्काम-निःस्वार्थ-उदार लोगों के कारण धन्य हो गया है.

4.क्या आधुनिकता के साथ पौराणिकता को समेट रहा है नया संसद भवन?

सबसे पहले नए संसद भवन की विशेषताओं पर एक नजर-
नया संसद भवन अगले सौ साल की जरूरतों को पूरा करेगा, भविष्य में सांसदों की संख्या बढ़ने पर भी कोई परेशानी नहीं होगी, वायु और ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने कई कदम उठाए गए हैं, इसमें सभी सांसदों के लिए अलग-अलग कार्यालय होंगे.जो नवीनतम डिजिटल इंटरफेस से लैस होंगे. अंडरग्राउंड टनल से जुड़ेगा सांसदों का दफ्तर. इसका डिजाइन एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है.
अब प्रश्न यह है कि क्या आधुनिकता के साथ पौराणिकता को समेट रहा है नया संसद भवन?
जब भी कोई नई इमारत बनती है, चाहे वह व्यक्तिगत ही क्यों न हो, तो उसमें आधुनिकतम तकनीक के प्रयोग का प्रावधान किया जाता है. फिर नए संसद भवन के लिए ऐसा करना अवश्यम्भावी है. हां, आधुनिकता के साथ पौराणिकता को समेटना कतई उचित नहीं होगा. नए संसद भवन को भारतीय मजदूर और कलाकार ही आकार देंगे, तो नी तकनीक और सुविधाओं के साथ भारतीय कला शिल्प का ध्यान तो अवश्य ही रखा जाएगा. इसमें कोई संदेह नहीं है.

मन-मंथन करते रहना अत्यंत आवश्यक है. कृपया अपने संक्षिप्त व संतुलित विचार संयमित भाषा में प्रकट करें.

विशेष-
वाह! आज दुर्लभ नजारा!
आज इतने करीब होंगे बृहस्पति-शनि कि लगेंगे एक, 400 साल में सबसे कम दूरी, मिस न करें Great Conjunction-
साल 2020 की यादें भले ही कोरोना वायरस की महामारी से जुड़ी हों, आखिरी महीना मानो ऐस्ट्रोनॉमर्स और स्काईवॉचर्स के लिए किसी खगोलीय खजाने की तरह आया हो। टूटते तारों की बारिश Geminid Meteor Shower से लेकर पूर्ण सूर्य ग्रहण तक, इस महीने कई अविस्मरणीय नजारे देखने को मिले और अब वक्त है शोस्टॉपर के आने का।
400 साल बाद ये इतने करीब आएंगे। आपको बता दें कि किन्हीं दो ग्रहों या स्पेस ऑब्जेक्ट्स इस तरह से गुजरने को Conjunction कहते हैं।

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विचार विमर्श- 8

  • लीला तिवानी

    वाह! आज दुर्लभ नजारा!
    आज इतने करीब होंगे बृहस्पति-शनि कि लगेंगे एक, 400 साल में सबसे कम दूरी, मिस न करें Great Conjunction-

    400 साल बाद बृहस्पति-शनि इतने करीब आएंगे। आपको बता दें कि किन्हीं दो ग्रहों या स्पेस ऑब्जेक्ट्स इस तरह से गुजरने को Conjunction कहते हैं।

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