कविता

काविता

अपनी बारी का इंतजार था

मगर

वो बारी आई नहीं

उसका इंतजार आज तक है

मैं खुद को कैसे हारा मानूं

क्योंकि

मुझे अपने हुनर दिखाने

मौका ही नहीं मिला

बिना खेले

तो कोई बाजी नहीं हारी जाती

जीत गए तुम कैसे

मैं तो अभी बाकी हूं

इक पल में पारिणाम बदल

सकता हूं

जो आगज है

उसका अंजाम बदल सकता हूँ

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश