सामाजिक

भारतीय समाज और २१वी सदी की जिम्मेदारीयां

हिंदुस्तान २१वी सदी का
हिंदुस्तान २१वी सदी का

विश्व व्यापिनी हिन्दू संस्कृति , भारतीय समाज, संस्कृति और जिसका परिवारिक ईकाई संसार के हर कोने में थी , ऐसा क्या हुआ कि २००० वर्षों से वो ख़त्म होते जा रही है या कह लो उसे ख़त्म किया जा रहा है ?  एक वैश्विक षड़यंत्र का शिकार हिन्दू समाज हुआ है इसके कारण अनेक है , ये षड़यंत्र आज भी चल ही रहे है . इसका एक प्रमुख कारण ये है की इसा और मूसा की पूर्व की विचारधारा को न पहचानना , न समझना ,   “सर्व-धर्म समभाव”  इस बहकावे में आकर हजारो बार धोखा खाना , “अहिंसा परमो धर्म” के नाम पर अपनों की हत्या होते देखना, अन्याय सहन करना | इस विश्व में ऐसे विचारधारा वाले समाज भी है जो ये सोचते है की संसार में केवल उनके विचारधारा को मानने वाले ही हो बाकि सब नष्ट हो जाए,  उनकी आसमानी किताब के अलावा संसार की सारी किताबे जला दी जाये “नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय” की तरह,  जो उनकी बात न माने उनके राजनीतिक एजेंडे में साथ न दे उसको “काफ़िर या शैतान” बोलकर उनकी गर्दन काट डाली जाये , गोधरा कांड की तरह ट्रेन में आग लगा कर जला दिया जाए , घात लगाकर पीछे से वार कर तडपा-तडपा कर ख़त्म किया जाए, अनेक षड़यंत्र कर फुट डाली जाये , काफिरों की बेटियों के साथ बलात्कार किया जाए, उनकी दौलत लूट ली जाये, जबरन धर्मान्तरण किया जाए और सारे गलत काम को धार्मिकता का चोला पहनाकर इस पाप को अच्छे काम का और ईश्वरीय काम का सर्टिफिकेट दे दिया जाए ताकि उनकी कट्टरता और पोलिटिकल एजेंडे के द्वारा पुरे विश्व की दौलत , देश और लोगो पर कब्जे हो सकें . मरने के बाद का जीवन का लालच दे , ७२ हूरे और दुनिया भर की लालच को धार्मिकता के नाम पर परोस दिया जाए जो की अन्धविश्वास और कोरी बकवास और झूठ के अलावा कुछ भी नहीं हो. ये ही हुआ है २००० वर्षों से भारतीय समाज के साथ जो आज भी हो रहा है ……

आज के युग में इन्टरनेट है , बैठे-बैठे आप संसार में वैचारिक हलचल मचा सकते है इतनी ताकत इस तकनीकी युग में हमें मिली है . लेकिन क्या हमारा समाज , युवा , साधू-संत, सन्यासी, हिन्दू-गुरु २००० वर्षो के इतिहास से कुछ सीखकर उसकी पुनरावृत्ति न हो उसके लिए क्या कर रहा है? क्या वह अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है ?  क्या कुम्भ के मेले में डुबकी लगा लेने से , गंगा में नहा लेने से या मूर्ति-पूजा घंटो बैठकर करने से , बड़े बड़े आश्रम और करोडो रुपयों की संपत्ति जमा लेने से आपके ,आपके परिवार के ऊपर भविष्य में जो विधार्मियों के आतंकवाद का खतरा मंडरा है क्या वो ख़त्म हो जाएगा ? अगर हा ,  तो फिर कश्मीरी हिन्दू लाखों की संख्या में ख़त्म क्यों हो गए ? क्यों करोडो की दौलत छोड़कर सिन्धी सिंध से भागे? हिन्दू, सीख , जैन , बौद्ध, पारसी,  पाकिस्तान , अफगानिस्तान , बांग्लादेश, ईरान ,अरब मुल्क से भागे, सारे संसार के कोने कोने से हमें भागना ही पड़ा जहा भी कट्टरपंथियों की संख्या बढ़ी ! आपके सारे देवी देवताओं के लाखो मंदिर तोड़ दिए गए | इस संसार में कोई भी देवता, भगवान नहीं बचा जिसका मंदिर न तोडा हो इन विधर्मियों ने, भगवान् बुद्ध हो,महावीर हो, शिव हो ,विष्णु हो, दुर्गा हो, हनुमान हो, श्रीराम मंदिर हो, कोई भी देख लो लेकिन उस मुसीबत से सामना करने के बजाय हम आज भी भाग ही रहे है…….

महाभारत , रामायण , भगवद्गीता हमारे सभी शास्त्र हमें संघर्षों से भागना तो नहीं सिखाते है . हमारे सारे देवी-देवता भी एक हाथ में शस्त्र से और दुसरे हाथ में शास्त्रों से सुसज्जित है . शास्त्र हमें, बिना किसी भय या पक्षपात के, अपने प्रतिद्वंद्वी का पूर्वपक्ष रखने की , उसपर टिका करने की और दुष्टों का संहार करने की शिक्षा देते हैं | लेकिन जो गुरु ऐसा करने से बचते हैं, वे केवल अपने आरामदायक क्षेत्र में रहना चाहते हैं। अनेक हिन्दू गुरु पलायनवादी हो गए हैं और किसी भी चुनौतीपूर्ण मुद्दे से बचते हैं। इस प्रकार का व्यवहार हिन्दुओं के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। ऐसे खोखले गुरुओं को हिन्दू समाज अपने से दूर करें और उनका अनुसरण करें जो डंके की चोट पर खरी- खरी बोलते हो , सच्चाई से पलायन न करते हो . यति नरसिंहानंद को मैंने सुना है , पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ को सुना है ! लेकिन कितने युवाओं ने सुना ? कितने हिन्दूओं ने सुना ? बहुत कम !

आज का युग वैचारिक युद्ध का युग है . जो भी परिवर्तन आप देख रहे हो उसके पीछे का आधार विचार ही है . भारतीय समाज, युवा , साधू-संतों की २१वी सदी की ये जिम्मेदारी है की हम सच्चाई को हर माध्यम से घर-घर पहुचाये, लोगो में जाग्रति लाये. २००० साल में क्या-क्या नष्ट हुआ है ? और कैसे हुआ है ? क्या वैभव था हमारा ये सब लोगो तक घर-घर जाने दीजिये . लेकिन बस एक ग़लतफ़हमी ने पुरे हिन्दू समाज को गुंगा बना दिया की मेरे अकेले बोलने से क्या फर्क पडेगा ? फर्क पड़ेगा भाई एक दीप से ही जलेगे कई दीप. भगवान् बुद्ध ने भी कहा है की “अप्प दीपो भव : ”. आप पहले स्वयं दीपक तो बनो . अंत में सत्य की विजय होगी ही .

सत्यमेव जयते !

महेश गुप्ता !

 

महेश गुप्ता

नागपुर से हूँ. एक आईटी कंपनी में अकाउंटेंट के रूप में कार्यरत हूँ . मेरा मोबाइल नंबर / व्हाट्स अप्प नंबर ८६६८२३८२१० है. मेरा फेसबुक पेज https://www.facebook.com/mahesh.is.gupta