कविता

/ सूरज अस्त नहीं होगा /

होते हैं रास्ते विचारों में अनेक
टेढ़े – मेढ़े, सीधे – साधे
मिट्ठी, कंकड़ – पत्थर के हैं
कहीं – कहीं काँटे भी होते।
चुनना होगा हमें ही बुद्धि से
उचित पथ कौनसा है हमारा
निकालना पड़ता है रास्ते से
पीड़ा – बाधा के उन काँटों को
चुभनेवाली उस मूढ़ता को
हटाना पड़ता है पत्थर जो
प्रगति के अवरूद्ध बने हुए हैं
आओ, संगठित हो जाओ,
उत्साह – उमंग जो भरते रहो
अस्मिता की हमारी दुनिया में
अपना कुछ चेहरा दिखाओ
सच्चे श्रम का अधिकारी हम
यह तथ्य मत भूल जाओ
सूरज कभी अस्त नहीं होगा
अंधकार को चीरता रहेगा
कभी यहाँ, कभी वहाँ
आग वह फैलाता जाएगा
हर जगह, हर कला में
अपनी दर्जा दिखाओ
कलम का स्याही बनकर
जीवन का सार रचाओ ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।