गीतिका/ग़ज़ल

जीना है तो मरना सीखो

जीना है तो मरना सीखो
पाना है तो खोना सीखो
सुबह उजाला गर चाहो तो
अन्धकार से लड़ना सीखो ।
मिलन पिया की आस हृदय में
तन्हाई संग जीना सीखो
निर्भरता मानव की दुश्मन
निज पैरों पर चलना सीखो ।
खुद को आदर पाना चाहो
खुद भी आदर देना सीखो
माना रिश्ते अहम् जगत में
काम को प्रथम करना सीखो ।
अपनी पीड़ा बहुत बड़ी है
मौन हृदय की पीड़ा सीखो
नहीं बरसता जब नीर नयन से
मौन नयन की व्यथा सीखो ।
बाधायें हों जब राहों में
नये रास्ते गढ़ना सीखो
दर्द बहुत है दिल में अपने
मुझसे हंसकर बढ़ना सीखो ।

— डॉ अ कीर्तिवर्धन