कविता

नव वर्ष के नव किरण

नव वर्ष के,नव किरण संग,नव उमंग आया,
देखो देखो देखो फिर से एक नया साल आया ‌।
धीरे-धीरे कब और कैसे एक वर्ष गुजर गया,
चुनौतियों के बीच कोई कुछ न समझ पाया।
कई कार्य पूर्ण हुए वहीं कुछ अधूरा रह गया,
कई संकल्प अधूरे रहे हकीकत न बन पाया।
इस बीच दुनिया ने कई चीज पाया और कुछ खोया,
जिसने जितना परिश्रम किया उसने उतना पाया।
कई लोग गुमनामी में खो गए कुछ ने प्रसिद्धि पाया,
जिसने जैसा प्रयास किया उसके हिस्से वैसा आया।
कितनों के कीर्तिमान टूट गए कुछ ने नया बनाया,
जो इसमें पिछड़ गया वह हाथ मलमल पछताया।
बढ़ती गई जनसंख्या महंगाई ने ऊंचाई पाया,
सुस्त हुई अर्थव्यवस्था मंदी का बादल मंडराया।
नव वर्ष के,नव किरण संग,नव उमंग आया,
देखो देखो देखो फिर से एक नया साल आया ‌।
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433