अन्य लेख

वर्ष का आखिरी दिन, और करें नववर्ष का सुस्वागतम्

” यह वर्ष तो बीतने को है। यह वर्ष आपके लिए सुखद रहा होगा ऐसी उम्मीद है। नववर्ष भी आपके लिए सदा शुभ मंगलमय रहे, आपकी उम्मीदें संकल्प पूरे हो ऐसी शुभकामनाऐ ।”
चाहे साल का आखिरी दिन हो या जिन्दगी का। दोनों ही हसीन होते हैं। रात को बारह बजने का घंटा बजते ही तारीख बदल जाती है। तारीख बदल जाती है।
आइए मैं स्वतंत्र लेखक सूबेदार रावत गर्ग उण्डू आज आपकी सेवा में ‘साल का आखिरी दिन और नये साल का सुस्वागतम्’ इस विषय पर केंद्रित आलेख पेश कर रहा हूं आशा है आपको पंसद आएगा। साल बदल जाता है। और अंतिम श्वास निकलते ही आदमी का सबकुछ छूट जाता हैं। बरस और जिन्दगी के आखिरी दिन में बस इतना सा फर्क है कि साल के दिन के बारे में आदमी को पता होता है और जिन्दगी के बारे में पता नहीं होता हैं। पता नहीं कि किसी क्षण फूंक निकल जाए। यह पता नहीं होता हैं। आखिरी दिन आदमी को बड़ा ‘डिप्रेस्ड’ करता हैं। उसे लगता है जैसे सबकुछ हाथ से फिसल रहा हो। आदमी अपने को ठीक उस दुल्हन की तरह महसूस करता है जो अपने सैंया के साथ के साथ नए जीवन की शुरुआत करने पीहर छोड़ कर ससुराल जा रही हो। जब अपनी जिन्दगी को सुखमय बनाने के लिए मनुष्य हजार नुस्खे बताने वाले चाहे कितनी भी बातें कहें पर हर दिन को सुखमय आनंदित बनाने का बस एक ही मंत्र है- प्रत्येक दिन को ऐसे जीयो जैसे वह जीवन का आखिरी दिन हैं।
यूं तो साल का आखिरी दिन होता ही इकतीस दिसंबर…!
आज पर मैं भी आपसे रूबरू हो जाऊं ऐसा ख्याल आया तो आज का टाॅपिक चुना साल का आखिरी दिन पर… तो यह छोटा आलेख आपकी सेवा में, प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा के साथ नए साल में मिलेंगे नये आलेख के साथ। एक सवाल दिमाग में उभरता है कि इस ब्रह्मांड में क्या कुछ ऐसा है कि जो आखिरी हैं। क्या किसी चीज बात या विचार को हम अंतिम कह सकते हैं? हमारी समझ में अंतिम कुछ नहीं हैं। अंत तो कभी होता ही नहीं । कुछ नया तो शुरू किया जा सकता हैं पर उसका अंत करना उसके हाथ भी नहीं होता जिसने धरती को बनाया हैं। पर अलबत्ता एक सवाल उससे जरूर पूछा जा सकता है-
‘दुनिया बनाने वाले… क्या तेरे मन में समायी?
काहे को दुनिया बनाई… तूने काहे को दुनिया बनाई।’
चलिए अब बुरा ना मानियेगा…आप यह बता दीजिए कि सन् 2019 की आखिरी रात आप किस तरह मनाएं या बिताएंगे?  क्या दोस्तों के साथ ?  क्या घरवालों के साथ ? क्या उनके साथ?  क्या इनके साथ? क्या खाएंगे ?  क्या पीएगें ? लीजिए आप आश्चर्य में हो गए कि आप तो हमसे व्यक्तिगत बात पूछने लगे। यह सवाल तो ऐसा ही है कि क्या आप कमीज के नीचे बनियान पहनते हैं? साल का आखिरी दिन आप चाहे जैसे भी बिताएं या आप चाहे जैसे मनाएं। पर आप यह नहीं माने कि यह आखिरी दिन हैं। दरअसल जिसे हम अंतिम कहते हैं वह किसी नए की शुरुआत भी हो सकता हैं।
चलिए छोड़िए हुजूर अब इस अहमकाना भरी बातों को।  आप नववर्ष की अपनी उम्मीद और इच्छानुसार जश्न की तैयारी करें इस ठंड भरी सर्दी में गर्माहट भरे जोश के साथ मिलकर मनाएं नया साल को। मैं भी आपका मेहमाननामा पाने को बेताब हूं, अगर आपकी नये साल की जश्न की महफिल में बिछी चांदनी पर जगह हो तो मुझे भी जरूर बुलाइएगा। हम भी तो महफिल एक कोने  में बैठे रहेंगे। हमारे लिए गालिब ने कहा है कि –
आवाज देकर बुला लो चाहे जिस वक्त, मैं गया वक्त नहीं जो कि फिर आ न सकूं। दोस्तों बहुत-बहुत शुक्रिया! नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ।
जय हिंद । जय भारत ।।
— ✍🏻 सूबेदार रावत गर्ग उण्डू  ‘राज’

रावत गर्ग ऊण्डू

सहायक उपनिरीक्षक - रक्षा सेवाऐं, स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी निवास - RJMB-04 "श्री हरि विष्णु कृपा" ग्राम - श्री गर्गवास राजबेरा, पोस्ट - ऊण्डू, तहसील -शिव, जिला - बाड़मेर 344701 राजस्थान संपर्क सूत्र :- +91-9414-94-2344 ई-मेल :- rawatgargundoo@gmail.com