गीत/नवगीत

बदलता साल- दो काव्य-रचनाएं

बदलता साल- दो काव्य-रचनाएं

1.अलविदा सखे!
अलविदा सखे! अलविदा सखे!
अलविदा, अलविदा, 2020 सखे!
कहलाए तुम भले ही ट्वेंटी-ट्वेंटी,
पर लंबे बहुत ही लगे सखे!
लंबा तो तुम्हें होना ही था!
तुम सबसे अलग जो थे!
हर साल साथ में लाता है नई खुशियां,
तुम महामारी लाने वाले जो थे!
महामारी के साथ आया
दुखों का रेला
हमारे संग तुमने भी झेला
लॉकडाउन
अकेलापन
तनाव-घुटन
आत्महत्याएं
बेरोजगारी
काम बंद
मजदूरों का दुखदाई प्रवास और पलायन,
फिर किसानों का अभूतपूर्व आंदोलन!
छीना भी तुमने बहुत कुछ
रिश्तों का विछोह
अपनों के कंधों को तरस्ती लाशें
एक दूसरे को देखने की बेकरारी
क्या-क्या नहीं लाई महामारी!
लौटाया भी है बहुत कुछ तुमने,
चिड़ियों की चहचहाहट,
प्रदूषण मुक्त पर्यावरण की आहट,
नदियों की निर्मलता,
पहाड़ियों की सुंदरता.
परिवार के मेलजोल को बढ़ाया,
सुख-दुःख में हाथ बंटाना सिखाया,
सुख में संग हमारे तुम मुस्कुराए भी,
दुःख में हिम्मत दी और धैर्य बंधाया.
अब तुम जाने की तैयारी में हो सखे!
खुशी-खुशी जाओ, अलविदा सखे!
तुम्हारी खट्टी-मीठी यादें न भूल पाएंगे सखे!
अलविदा सखे! अलविदा सखे!

 

2.स्वागत कर लें
नवल वर्ष का नवल हर्ष है,
आओ इसका स्वागत कर लें,
इसको सुख-समृद्धि से भरना,
अपने प्रभु से वंदन कर लें.
हर वर्ष की तरह इस बार भी,
आया एक बार फिर नया वर्ष,
देखें क्या-क्या संग लाता है,
नया हर्ष या फिर नया संघर्ष?
जो भी लाएगा स्वीकार्य होगा,
यह भी प्रभु की सौगात ही होगा,
इसी में उसने हमारी भलाई छिपाई होगी,
उसकी हर सौगात का धन्यवाद होगा.
अब तक भी उसने ही बचाया है,
वक्त-बेवक्त हमको नचाया है,
अब भी वही नचाएगा और बचाएगा,
हम तो उसकी कठपुतलियां हैं, सब उसकी माया है.
वक्त नूर को भी बेनूर बना देता है,
वक्त फ़कीर को भी हुज़ूर बना देता है,
वक्त की कद्र कर ऐ बंदे,
वक्त कोयले को भी कोहिनूर बना देता है,
वक्त का ख़ास होना जरूरी नहीं,
ख़ास के लिए वक्त का होना जरूरी है,
इस साल को ही ख़ास समझ लो,
2021 में ज्यादा नहीं कुछ दूरी है.
बीस-इक्कीस के फर्क को समझो,
प्रभु की माया को ख़ास समझो,
हर वर्ष की तरह फिर आया है नया वर्ष,
बस इसी के हर्ष को ख़ास समझो.
हर वर्ष की तरह इस साल भी,
नए-नए कुछ सुमन खिलेंगे,
नए-नए आशा के दीप जलेंगे,
हिम्मत और हौसले का अंबार होगा,
बिछुड़े हुए कुछ साथ मिलेंगे.
नवल वर्ष का नवल हर्ष है,
आओ इसका स्वागत कर लें,
इसको सुख-समृद्धि से भरना,
अपने प्रभु से वंदन कर लें.

आप सबको नए साल 2021 की ढेरों बधाइयां और शुभकामनाएं.
खुशियां आएं, सबको हर्षाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “बदलता साल- दो काव्य-रचनाएं

  • लीला तिवानी

    एक खूबसूरती, एक ताज़गी,
    एक सपना, एक सच्चाई,
    एक कल्पना, एक अहसास,
    एक आस्था, एक विश्वास,
    यही है एक अच्छे साल की शुरुआत.

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