इतिहास

कादरनामा

यह अज़ीब दास्तान है कि मशहूर संवाद लेखक, हास्य और खल अभिनेता कादर खान का जन्म 1937 में अफगानिस्तान के काबुल में हुआ, तो परवरिश और शिक्षा-दीक्षा भारत के मुम्बई के कमाडी नामक जगह में हुई और मृत्यु 81 वर्ष की आयु में कनाडा में साल 2018 के अंतिम दिन हो गई यानी सिकन्दर की भाँति तीन देशों से जुड़े रहे ।

तभी तो हिंदी वर्ण ‘क’ से उनके नाम ‘कादर’, फिर जन्मस्थान भी ‘क’ से काबुल, परवरिश भी ‘क’ से कमाडी और निधन भी ‘क’ से कनाडा में । ऐसे कई चीजें हैं, जो 200 से अधिक हिंदी फिल्मों के पटकथा लेखक कादर साहब से जुड़ी हुई हैं । कहा जाता है, उनकी लिखी डायलॉग बोलकर अमिताभ बच्चन यंग एंग्रीमैन और महानायक हो गए । वे खूँखार खल अभिनेता व विलेन रहे हैं, तो उनकी जोर के हास्य अभिनेता भी मिलनी मुश्किल है ।

उनकी अभिनीत 300 से अधिक फिल्में भी हैं । एक विदेशी जो भारत को अपना देश मान लिए थे, ज़िन्दगी के अंतिम दिनों में यहाँ के प्रति अथवा व्यवस्था के प्रति खुश नहीं थे । तभी तो वे अपने छोटे पुत्र के यहाँ यानी कनाडा में रहने लगे । यूँ तो वे कनाडा इलाज़ कराने गए थे, किन्तु वहाँ से कई वर्षों के बाद भी भारत वापस नहीं आना बहुत कुछ मूकज्ञान दे जाता है । चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन के बाद विदेश में मरनेवालों की सूची में कादर खान के नाम भी जुड़ गए । बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता कादर खान के निधन पर एक प्रशंसक की ओर से सादर नमन!

कविता ‘बेचारगी’ पर मेरी टिप्पणी, यथा- कविता ‘बेचारगी’ मार्मिक और उदास करनेवाली है। काफी दिनों के बाद बच्चन जी के ‘मधुकलश’ याद हो आई, किन्तु ये बेचारगी क्यों ? कवि सबकुछ खोकर भी ‘बेचारा’ नहीं हो सकता ! जवाब मिठास तो नहीं था, किन्तु दिल को छू गया कि ज़िन्दगी के सभी रंग साहित्य में विभिन्न प्रकार के रसों के रूप में प्रतिबिंबित होते हैं । इन रंगों में कभी उत्साह व उन्माद की झलक मिलती है, तो कभी निराशा व अवसाद की । बच्चन जी की रचनाओं में 1936-41 के दौर में कई जगह ऐसे करूण भाव सहज ही देखे जा सकते है । भावों की तीव्रता की स्थिति में ये स्वतः जन्म लेती है और इनके माध्यम से पीड़ा से एक हदतक मुक्ति मिल जाती है । परोपकर से बड़ा कुछ भी नहीं।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.