कविता

चुंबन में अन्तर्निहित

चुंबन में अन्तर्निहित…

मेरे अधरों पर अंकित
तुम्हारे चुंबन में
अन्तर्निहित होती है मेरे लिए
तुम्हारी आसक्ति
और मुझमें समा जाने की
तुम्हारी बेकरारी,
जो प्रिय है मेरे शरीर को।

मेरे ललाट पर अंकित
तुम्हारे चुंबन में
मगर अंतर्निहित होता है मेरे प्रति
तुम्हारा प्रेम, गर्व और विश्वास,
जो बहुत प्रिय है मेरे मन,
मेरी आत्मा को।

जितेन्द्र ‘कबीर’

जितेन्द्र 'कबीर'

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र ' कबीर ' संप्रति - अध्यापक पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश 176314 संपर्क सूत्र - 7018558314