कविता

नमन ए वीर सपूत

हे मातृभूमि के वीर सपूत
तुमको नमन है बार-बार ,
ए मेरे वतन के रखवालों
हम सिर झुकाते बार बार……
त्याग अपना घर परिवार,
छोड़ सारा पर्व त्यौहार,
बांध कफन अपने सिर पर,
रहते मातृभूमि रक्षा को तैयार,
हे देश के सीमा प्रहरी,
तुमको नमन है बार-बार।
तुम भारत के वीर सपूत,
तुम हो भारत के कर्जदार,
मातृभूमि वजूद के लिए ,
रहते तुम हरदम तैयार ,
ए मेरे देश के वीर जवान,
तुमको नमन है बार-बार।
हम घरों में सोए रहते,
तुम झेलते सरहद पर,
सीने पर गोली हजार,
मुस्कुराते हो जाते अमर,
ए मेरा देश के वीर सपूत
तुमको नमन बार बार ।
बेवा होती अर्धागिनी,
रो-रोकर हुआ मां का बुरा हाल,
बाप को कौन अब लेगा संभाल,
बहन के लिए फीका हुआ त्यौहार,
बच्चों की सिसकियां ढूंढे पापा का प्यार।
ए मातृभूमि रक्षक
तुमको नमन है बारम्बार।

— अनुपमा,अनु

अनुपमा,अनु

भोजपुर,बिहार