गीतिका/ग़ज़ल

गजल

दुःख जिसके ज़माने के अदंर है

वो ही तो भोले शंकर है

आये कैसे बहार उसमें

जिसकी ये ज़मीं ही बंजर है

देख ले बिछड़कर नहीं मरा हूं मैं

अब ये हालात कितने बेहतर है।

थोड़े में ही भर ही आते हैं।

मेरे आंसू ही अब समंदर है

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश