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एक रोटी के लिये
रात दिन जो एक करते, एक रोटी के लिए। आज वो ही जन तरसते, एक रोटी के लिए। अन्न दाता देश के ये, हल चलाते हैं सदा। फिर भी गिरवी खेत रखते, एक रोटी के लिए। खून है सस्ता मगर, महँगी बहुत हैं रोटियाँ। पेट कटते अंग बिकते, एक रोटी के लिए। जो गए सपने […]
जो खुशी गम के पल आते जाते रहे
जो खुशी गम के पल आते जाते रहे, कुछ रहे याद कुछ हम भुलाते रहे । नींद रातों की छीनी थी कुछ ख्वाबों ने, खुद जगे ख्वाबों को हम सुलाते रहे । खुद तो भटके थे राहों में कब से मगर, रास्ते हम सभी को दिखाते रहे । हां छुपा था बहुत दर्द मन में […]
मुतल्ला गजल
जान लेंगी मेरी आज ये हिचकियां याद आती रही वस्ल की मस्तियां रास आने लगी जब से तन्हाइयां फुसफुसाती रही रात भर आंधियां कोई जाने हमारी न मजबूरियां दूर रहकर बनाई हैं नजदीकियां उम्र दर उम्र करते रहे गलतियां जान कर भी बजाते रहे तालियां इश्क में बारहा लग चुकी अर्जियां पर हुई इश्क में […]