धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

पशु-पक्षियों की पूजा-अर्चना

मूकप्राणियों के पूजनार्थ हिन्दू धर्मावलम्बियों द्वारा ‘गाय’ की पूजा-अर्चना महासदियों से की जाती रही है । ‘गोकुल’ वासियों यानी गाय या गो पालकों के वंशजों के गाँव अवस्थित ‘गोवर्द्धन’ पर्वत को श्रीकृष्ण द्वारा इसलिए उठाया गया था, ताकि बारिश यानी देवराज के प्रकोप से बचा जा सके ! कहा जाता है, यह गोवर्द्धन पर्वत ‘गोबरों’ के ढेर से बना है।

‘गोबर’ की टिकिया व चिपरी व गोइठा लिए न केवल जलावन, अपितु ‘गोबर’ से आँगन की लिपाई-पुताई कार्य भी सम्पन्न होते हैं । वैज्ञानिक तथ्यान्वेषण यह कहता है कि दीपावली की रात दीप-बातियों के कारण मरे असंख्य कीड़े-मकौड़े को हटाकर आँगन की गोबर से पुताई अगले सुबह होती है, निहितार्थ ही ‘गोबर’ के विन्यस्त: ‘गोवर्धन व गोवर्द्धन व गौवर्द्धन’ पूजा दीपावली के एक दिन बाद ही होती है या तो गाय माता के साथ या गोबर के साथ !

गाय को नहाए जाते हैं, सींग में घी और सिंदूर लगाए जाते हैं, उनकी रस्सी भी बदली जाती है व बिल्कुल नई ! हमारे यहाँ जिनके पास गऊ माता नहीं है, तब पुष्प के साथ ‘गोबर’ की पूजा होती है ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.