इतिहास

प्रणम्य जीवन

“प्रेम-प्रसंग के समय वो ‘चन्द्रमुखी’ होती हैं,
शादी के बाद ‘सूर्यमुखी’,
अगर कोई मांग पूरी नहीं हुई तो ‘ज्वालामुखी’,
अगर पूरी हो गयी मांग तो ‘युक्ता मुखी’ !”
ध्यातव्य है, यह किसी पर कटाक्ष नहीं है !
आगे भी– विवाहितों से प्रेम अगर प्रकट नहीं है, तो ठीक! अन्यथा, मीटू; तो कुँवारों से प्रेम जितना आउट व पब्लिश होंगे, फायदा उतनी ही कुँवारियों को होंगी! महिलाओं के सबसे बड़े दुश्मन ‘महिला’ ही है, माँ तो माँ है, पर वह जब सास बन रही होती है…. बहन तक ठीक है, पर जब यह ननद बन रही होती है, बुआ बन रही होती है ! यहाँ तक की पत्नी की बहन यानी साली की भूमिका भी अपनी बहन के लिए ईर्ष्या की हो जाती है । ‘त्रिया चरित्तर’ जैसे शब्द-विन्यास ‘देवी’ भाव को संकुचित करती है । यह भी असामाजिक पदवी है । हम ‘सेक्स’ से बाहर निकले और इन देवियों को उनकी ‘देवी’ पद हेतु पुन: सुशोभित करने में प्रणम्य भूमिका निभाएं !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.