कविता

तुम बहरे हो क्या ?

दादाजी कहा करते थे,
‘मनिहारी श्मशान घाट’ की
धूल-धूसरित “जिलेबी” खाने से
भूत-प्रेतों से दोस्ती
‘सीधे’ हो जाती है !
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अखबारी कागज पर खाने से
प्रिंटिंग स्याही पेट में जाकर
उत्पात मचाते हैं
और
बवासीर आदि के रूप में
बाहर निकलते हैं ?
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कल जो ‘लाई’ (लाड़ू) खाये थे,
अभी तक पचा नहीं है !
माँ से कह दिहिस है,
आज सिर्फ़ सब्ज़ी का
‘झोड़’ सुरकेंगे ?
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जिसने प्रसव- वेदना झेलकर
और मुझे खूब रुलाकर,
किन्तु पिता और परिवार को
मुस्कराने का अवसर प्रदान की!
प्यारी माँ को प्रभातीय नमन….
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त्रिभुज के तीनों कोण का योग
180° होता है,
पर ‘इलेक्ट्रिक आयरन’ का योग
180° नहीं होता !
यह इलेक्ट्रिक आयरन ही
‘नियोजित शिक्षक’ है?
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तुम
बहरे हो क्या ?
सर
कार !
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रोपने के लिए क्यों ?
पर कोई रोप के ही
क्या उखाड़ पाए हैं ?

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.