गीत/नवगीत

बिना हिचक सब कर दो अर्पण

अकेले-अकेले नीरस जीवन, साथ में कोई आ जाओ तो।
बिना हिचक सब कर दो अर्पण, प्रेम किसी का पा जाओ तो।।
चन्द पलों का साथ यहाँ पर।
क्या मालूम? कल जायँ कहाँ पर?
संयोग-वियोग का खेल निराला,
बिछड़े कल, कल मिले वहाँ पर।
प्रेम का दरिया, बड़ा निराला, बहना उसमें बह पाओ तो।
बिना हिचक सब कर दो अर्पण, प्रेम किसी का पा जाओ तो।।
कठिनाई भरा जीवन पथ है।
निर्णय नहीं, बस मेरा मत है।
धोखे, छल और कपट से पूरित,
जीवन से भला मौत का रथ है।
साथ भले ही चल नहीं पाओ, मिलते जब, मुस्काओ तो।
बिना हिचक सब कर दो अर्पण, प्रेम किसी का पा जाओ तो।।
हँसते गाते जीना होगा।
बहाना रोज पसीना होगा।
अपना कहकर छलते हैं यहाँ,
अमी समझ विष पीना होगा।
साथ छोड़कर जाते, जाओ, पहचान लेना, मिल जाओ तो।
बिना हिचक सब कर दो अर्पण, प्रेम किसी का पा जाओ तो।।
प्रकृति पुरूष का साथ बनाया।
नर-नारी ने साथ निभाया।
संग-साथ रह जीवन अमृत,
अलग-अलग, है तनाव कमाया।
छल, कपट, षड्यंत्र तजकर, प्रेम करो, यदि कर पाओ तो।
बिना हिचक सब कर दो अर्पण, प्रेम किसी का पा जाओ तो।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)