गीत/नवगीत

जीवन में स्वर्गिक सुख मिलता

साथी में विश्वास बसा हो

जीवन में स्वर्गिक सुख मिलता, साथी में विश्वास बसा हो।
प्रेम, समर्पण और त्याग हो, सच ने ही रिश्तो को रचा हो।।

दो से एक वहाँ होते हैं।
सच का बीज जहाँ बोते हैं।
झूठ, छल और कपट तो केवल,
षड्यन्त्र रचकर भी रोते हैं।
पारदर्शी है जीवन अपना, कपट जाल में भले फंसा हो।
जीवन में स्वर्गिक सुख मिलता, साथी में विश्वास बसा हो।।

नर-नारी को साथ चाहिए।
प्रेम और विश्वास चाहिए।
रिश्तो में विश्वास न हो तो,
नहीं कोई भी आस चाहिए।
रिश्ता नहीं वहाँ होता है, किसी एक ने दूजा ठगा हो।
जीवन में स्वर्गिक सुख मिलता, साथी में विश्वास बसा हो।।

धोखेबाजों से बचना है।
प्रेम नाम पर प्रवंचना है।
कीमत कोई पड़े चुकानी,
अपना पथ अपनी रचना है।
सावधान! हो आगे बढ़ना, कपट कामिनी जाल बुना हो।
जीवन में स्वर्गिक सुख मिलता, साथी में विश्वास बसा हो।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)