लघुकथा

भूख 

फिल्म का सेट लगा हुआ था डायरेक्टर सामने कुर्सी पर बैठा था । साहेब आपको एक बच्चे का जरुरत था मैं लेके आया ।
क्या नाम‌ है इस लड़के का
 नीलकंठ है साहेब
ऐ लड़के काम करेगा जी साहब क्या करना हैं?
एक बिगड़े रहीस के लड़के  की भूमिका करनी है । साहेब में  दो दिन से भूखा हूँ …यहां खाना मिलेगा  …साहेब ।
अभी तू एक काम कर सीन के लिए तैयार हो जा बाकी …बाद की बाद में देखेंगे  , पहले काम तो कर ……..।
सेट पर टेबिले सज  गई होटल  का सीन है  । एक  बड़ा लड़का हाथ में कपड़ा लिए टेबिल साफ कर रहा हैं ।
 टेबिल पर लड़का लजीज खाना लगा देता जाओ तुम्हें इतना करना है कि यह जो  इस टेबल पर भोजन सजा है इस  को ना पसंद कर टेबिल कवर को खींच कर खाने को उलट देना है ।
लड़का जैसे ही आगे बढ़ा खाना देखकर ही लड़के ने जीभ होंठों पर फेरी  अंदर अंतणियो में कुलबुलाहट होने लगी  भूख जाग गई  ।
कुर्सी पर बैठ गया खाना देख खाने लगा एक कौर खाया ही था कि जौर का झंनाटेदार झापड गाल पर पड़ गया ।
डायरेक्टर चिल्लाया कट …कट । सीन कट हो गया ।
इसको समझाओ इसे खाना टेबल की चादर खींच कर उलटना है ।
इस बार गलती नहीं होनी चाहिए
लड़के ने अपनी भूख  दबा लिया ।
 दोबारा टेबल की तरफ गया और पूरी ताकत से चीखते हुए बोला निहायत घटिया खाना बनाया है टेबिल की चादर खींच कर खाना उलट दिया ……. बहुत बढ़िया …..कट इट सीन कट हो गया . सभी खुश थे लड़का एक तरफ बैठा उस घूल धुसरित हुए उस खाने को देख कर भूख से व्याकुल अपनी अंतणियों में उठने वाली कुलबुलाहट से परेशान लड़का पेट पर  हाथ फेर रहा था ।
— अर्विना 

अर्विना गहलोत

जन्मतिथि-1969 पता D9 सृजन विहार एनटीपीसी मेजा पोस्ट कोडहर जिला प्रयागराज पिनकोड 212301 शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान वैद्य विशारद सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर विधा -स्वतंत्र मोबाइल/व्हाट्स ऐप - 9958312905 ashisharpit01@gmail.com प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समाचार पत्र हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान अंकुर नोएडा, अमर उजाला डीएनस दैनिक न्याय सेतु