गुणगान करें सब नारी का,
गुणगान करें सब नारी का,
सम्मान करें न जानें।
लक्ष्मी कहलावे जो घर की,
लक्ष्मी के हित तरसावे।
भोर पहर जो त्याग शयन,
सूरज से प्रथम उठ जावे।
ध्यान रखें सबके सुख का,
उसका दुख समझ न पावे।
अर्द्ध दिवस उपवास में बीते,
सबके हित भोज पकावे।
जेवन बैठे सब लोग जहा,
गिन गिन कर कमी बतावे।
साहस कर कुछ कहना चाहे,
तानें के तीर चलावे।
पात्र हास्य का बना उसको,
स्वाभिमान चटकावे।
देवी मां की महिमा गाकर,
निज माता को ही सुनावे।
माता यदि कुछ कहना चाहे,
मुख बंद तुरंत करवावे।
गुणगान करें और बखानकरें,
नारी की जाति का गण करें।
मान करे जब अपने घर में,
सच्चा मान कहलावे।
— सीमा मिश्रा