राजनीति

नए-नए टेस्ट, नियमों और कोर्ट की तारीखों में उलझे हरियाणा के बेरोजगार युवा

नए आंकड़ों ने हरियाणा को देश भर में एक नंबर पर बेरोजगार राज्य घोषित किया है. मगर यहां की गठबंधन सरकार ये मानने को तैयार ही नहीं है. आये दिन बेरोजगारों पर नौकरी के लिए नए-नए नियम थोपे जा रहें है. सरकार नए-नए टेस्ट लागू कर  बेरोजगार युवाओं की जेब खाली कर रही है. वर्तमान सरकार ने पिछले सात सालों में केवल चतुर्थ श्रेणी के पदों को भरा है उसमे भी हज़ारों खामियां रही और आज भी युवा इस भर्ती को लेकर कभी सोसिओ इकॉनमिक के फायदे या फिर स्पोर्ट्स के अनुभव को लेकर कोर्ट की तारीखे भुगत रहें है. आश्चर्य की बात ये कि  रोजगार के अभाव में दसवीं की अहर्ता वाली इस भर्ती में राज्य के डॉक्ट्रेट, मास्टर, बीएड, बी.टेक और स्नातक युवाओं ने नौकरी के लिए आवदेन किया था.

वर्तमान सरकार झूठे सपने दिखाकर राज्य के युवाओं का आये दिन आर्थिक और मानसिक शोषण कर रही है. राज्य के आई.टी.आई. में हज़ारों पदों के लिए चयन आयोग ने एक माह तक परीक्षा ली मगर सरकार ये भर्ती ही नहीं करना चाहती .सरकार ने अनुबंध कर्मचारियों को आगे कर कोर्ट में केस का बहाना बनाकर भर्ती लटका दी.  पिछले दो साल से इन आई. टी.आई के पेपर पास युवाओं को तारीख के अलावा कुछ नहीं मिल रहा. इन युवाओं का कहना है कि सरकार कि मंशा ठीक नहीं है. अगर इनको भर्ती ही नहीं करनी थी तो विज्ञापन निकालकर पेपर क्यों लिया?  इस प्रकरण से उनके सपनो को सरकार ने मिट्टी में मिला दिया है . सालों तक कोर्ट केस झेलकर इनमें से अधिकांश युवा ओवर ऐज होने कगार पर है.

राज्य के सरकारी स्कूलों में चालीस हज़ार अध्यापकों के पद खाली पड़े है. मगर सरकार शिक्षक पात्रता के नाम पर आये साल फॉर्म निकालकर आवेदकों से फीस वसूलती है. मगर अध्यापक भर्ती किये दस साल हो गए है . राज्य में जेबीटी के लिए पिछली भर्ती दस साल पहले आई थी. इस दौरान राज्य के लाखों युवाओं ने कई-कई बार अध्यापक पात्रता पास की. मगर भर्ती के अभाव में उनके सारे सपने टूट गए है.नौबत अब ये है कि राज्य के अधिकांश युवा रोजगार के अभाव में शादी से परहेज कर रहें है. उनका कहना है कि रोजगार न होने कि वजह से उनको खुद के लिए खाने का दो रोटियां नहीं है तो वो अपने जीवन साथी का ख्याल कैसे रख पाएंगे.

पिछले सात सालों में एक दो भर्तियों के परिणाम आये तो उनकी जोइनिंग कोर्ट में लटक गई. पी.जी.टी. संस्कृत के अध्यापकों की भर्ती कि जोइनिंग तीन साल से कोर्ट में लटकी है. देखे तो वर्तमान सरकार ने अपने राजनितिक स्वार्थों कि पूर्ती के अलावा राज्य के युवाओं का शोषण खूब किया है. यहाँ के युवा आंदोलन की राह पर है या फिर अपराध से दोस्ती कर रहें है. बात जायज भी है आखिर ये शिक्षित युवा जाये तो जाये कहाँ ? लाखों का खर्च कर और अपनी उम्र को दांव पर लगा इन्होने अपने सुनहरे जीवन के सपने बुने मगर सरकार इनके कल्याण की नहीं अपने स्वार्थों की सोच रही है. एक दो निचले स्तर की भर्ती कर सरकार अपना ढिंढोरा पिट रही है और हरियाणा देश भर में नंबर वन बेरोजगार राज्य बन गया.

हर बार अनुबंध कर्मचारियों के नाम पर भर्तियां लटकाकर सरकार नए तरीके का खेल रच रही है. ये तो केवल बहाना है. जब भर्ती निकली तो उनको ये सब पता था कि कहाँ भर्ती करनी है और कैसे करनी है. आखिर विज्ञापन किस आधार पर जारी किये गए और लिखित परीक्षा भी आयोजित हुई. डॉक्यूमेंटेशन को कोरोना का बहाना बनाकर रोक लिया जाता है, मगर पात्रता परीक्षा में पैसों के लिए मात्र दस दिन में पेपर करवाकर बेरोजगारों को लूट लिया जाता है. मुख्यमंत्री जी क्या ये बात सबको समझ नहीं आती है या फिर राज्य सरकार जो चाहे वो करें, विपक्ष को इस मामले को सदन में जोर-शोर से उठाकर वर्तमान सरकार को घेरना चाहिए.

वर्तमान सरकार को इनके हालातों को समझना चाहिए और पेंडिंग भर्तियों को तुरंत पूरा कर नयी भर्तियां भी करनी चाहिए, ताकि युवाओं की ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग हो सके. वर्ना वो समय दूर नहीं जब ये सड़कों पर उतरेंगे और सरकार को उसकी औकात दिखाएंगे. आखिर बेरोजागर लोगों को अपने विरुद्ध कर सरकार क्यों अपने दुश्मन पैदा करना चाहती है?  ये सोच समझकर राज्य के मुखिया को अपना अगला कदम उठाना चाहिए. उनको समझना चाहिए कि युवाओं \ कि जरूरत क्या है और वो इस पद पर क्यों बैठे है ? तख़्त पलटने में युवा शक्ति माहिर होती है इतिहास गवाह है, गोरों की तानाशाही नहीं टिकी तो लोकतंत्र का हठी नुमायदे कितने दिनों तक टिकेगा ??

— प्रियंका सौरभ 

प्रियंका सौरभ

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, (मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप) facebook - https://www.facebook.com/PriyankaSaurabh20/ twitter- https://twitter.com/pari_saurabh