कविता

जिन्दगी

ईश्वर द्वारा प्रदत्त है
मिली है हमको
ये जिन्दगी,
कभी खुशी तो
कभी गम है
और कभी आँसुओं
की धार सी है
ये जिन्दगी,
कभी सपाट तो
कभी टेढ़ी मेढ़ी है
ये जिन्दगी,
कभी शह तो
कभी मात दे रही
ये जिन्दगी,
कभी मुखौटों से
छिपी हुईं है
तो कभी बेनकाब है
ये जिन्दगी,
कभी अपनो से घायल
तो कभी दूसरों को
घायल कर रही है
ये जिन्दगी,
कभी बेहिसाब दौड़ती
और कभी थम सी जाती
ये जिन्दगी,
कभी शीत सी है
तो ग्रीष्म सी है
और कभी बसन्त सी है
ये जिन्दगी,
बस जैसी भी है
बहुत खूबसूरत है
ये जिन्दगी।

— कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171