लघुकथा

बच्चे मन के सच्चे

ट्रेन में एक दंपत्ति अपने छोटे बच्चे के साथ यात्रा कर रहे थे। टीसी ने उनकी टिकटें देखने के बाद बच्चे का टिकट माँगा।
माँ ने बताया कि बच्चा अभी पाँच वर्ष का पूरा नहीं हुआ है इसलिए उसका टिकट नहीं लिया। खामोशी से उनकी बातें सुन रहे बच्चे ने बड़े भोलेपन से कहा,” मम्मा! आप तो हमेशा कहती हो झूठ बोलना पाप है फिर आप क्यों झूठ बोल रही हो ? अभी पिछले महीने ही तो मेरा बर्थडे था और आपने बताया था कि मैं पाँच साल का हो गया हूँ।”

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।