कविता

अधूरा

जिंदगी क्या है-दो दिन का मेला है,

इस मेले में हर इंसान अकेला है।

 

रौशनी क्या है-बस चिरागों का रेला है,

इस चराग तले ही ज्यादा अंधेरा है।

 

प्रेम क्या है- चाहतों का खेला है,

इसमें हर पल बेबसी का बसेरा है।

 

आप क्या है- मेरी जिंदगी का सबेरा है,

आपके बिना ये जिंदगी अधूरा है।

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P