कविता

कुछ

कहा कुछ
सुना कुछ
दिया कुछ
समझा कुछ
लेना था कुछ
देना था कुछ
दिल में कुछ
दिमाग़ में कुछ
जताते कुछ
बताते कुछ
लाते कुछ
ले जाते कुछ
बह जाते कुछ
रह जाते कुछ
हैं कुछ और
बताते कुछ और
बस इन्हीं विरोधाभास में
जीये जा रहे जिंदगी
रोते कुछ
हंसते कुछ
झुर्रियां कुछ
होंठों की मुस्कान कुछ

कुछ के हिसाब में

कुछ न रहा पास मेरे

 

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733