हास्य व्यंग्य

महंगाई को बदनाम करना राजद्रोह

गैसू बाबा,गैसू बाबा आज अखबार पढ़े की नहीं ? गजब हो गया ! अब हम लोगों को आगे बढ़ते कोई नहीं देखना चाह रहा। लगता है हमसब बेवजह मारे जाएंगे। जनता एक ओर चिल्ला-चिल्लाकर बिल बिला रही है।दूसरी ओर कर्महीन तिपक्षी जो खुद अपनी संख्या बढ़ा नहीं पा रहे हमारी बढ़त देखकर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।जैसे हम लोगों के कारण से ही इनकी सरकारों की मैयत निकल रही है।शुक्र मनाइए हम दो हमारे दो महाराज की!उनके कारण से है सरदार की नजरें टेढ़ी नहीं हो पा रही है अन्यथा हमारी बढ़त कब की सर्जिकल स्ट्राइक का शिकार हो गई होती है।आखिर हम लोगों ने क्या गुनाह किया है जो हमारे विकास से लोग जल रहे हैं।सदियों बाद तो उनके आने से सब कुछ मुमकिन हुआ है अन्यथा पहले तो रसगुल्ला के साथ-साथ खीर भी नमकीन हुआ करता था‌।कितने हसरत लिए हमलोग आगे बढ़ रहे थे।लगता था आने वाले एक-दो महीने में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएंगे।पर क्या कहूं लगता है हमारे ऊपर किसी खाजनीतिक बल ने जादू टोना करवा दिया।अन्यथा आज यह दिन देखने को नहीं मिलता।सब लोग पानी पी पीकर हम लोग को कोस रहे।इसमें हमारी क्या गलती जबसे हमें निजी हाथों में भेजा दिया गया तब से ही तो हमारे पंख निकलने शुरू हुए हैं वरना पहले तो खूंटे से बंधे गाय की तरह डोलते रहते थे।जो काम लत्तर वर्षों में नहीं हुआ वह कट्टर वर्षों में हो गया।आज हम शतक लगा लिए।
अरे क्या बकते जा रहे हो डीजे ? क्यों बजट की तरह गोल गोल चक्कर गिरनी घुमाये जा रहे हो ? क्या तुमको डर है जनता समझ जाएगी! इतने दिनों में जब नहीं समझ पाई तो भला अब क्या समझ पाएगी।निश्चिंत होकर बोलो कहना क्या चाह रहे हो‌।क्या बताऊं गैसू बाबा हम किसी अनहोनी से डर रहे हैं।जब से पेट्रो काका और डीजे यानी मैं आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते हुए शतक जहां तहां लगाया हूं कुछ नामुराद बेरोजगार हमारे पीछे पड़ गए हैं‌।खोसल मीडिया पर अनाप-शनाप लिख लिख कर हमें बदनाम रहे हैं जिन्हें कुछ काम नहीं । ले देकर हमारे विकास से जलन हो रहा है।गोद लिए गांव पर उन्हें कुछ नहीं बोलना,स्मार्ट सिटी का ज्ञान नहीं, स्टैंड अप इंडिया भूल गए, शाइनिंग इंडिया सपने में भी नहीं आता बस महंगाई महंगाई महंगाई की रट लगाए बिना मतलब के मुंह चीर रहे हैं। मानो पूरे देश में महंगाई के सिवाय और कोई समस्या ही नहीं है । अगर उन्हें इतनी ही परेशानी है तो किसानों के साथ क्यों नहीं खड़े होते, बेरोजगारी पर अपना ध्यान क्यों नहीं देते,श्रम कानून पर उनकी बुद्धि भ्रष्ट क्यों हो जाती है, न्यायपालिका में समानुपातिक भागीदारी की याद उन्हें क्यों नहीं आता है।और यही नहीं जो कुछ लोग आज छपने से पहले बिकने लगे हैं बोलने से पहले तोलने लगे हैं इसे देखते हुए भी अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए आवाज क्यों नहीं उठाते और तो और लोकतंत्र के ढीले होते नट बोल्ट पर उनका ध्यान क्यों नहीं,सिर्फ महंगाई महंगाई महंगाई करते रहते हैं जैसे कौवा कांव-कांव कर रहा है।
गैसू काका आप पेट्रो काका आजकल अपनी बढ़त में मस्त है उन्हें देश दुनिया की कोई चिंता नहीं और मैं तो अभी अबोधबालक ठहरा आप ही किसी तरह से बडका साहेब को समझाइए और महंगाई को बदनाम करने वाले पर राजद्रोह का मुकदमा करवाइए।तभी जाकर हम लोगों की जान बचेगी।अन्यथा जो पेराइबट कंपनियों से लमहर-लमहर डिग्री कीन के हाथ-पांव सलामत रहते हुए भी बेरोजगार है बेरोजगार है की माला जपते रहते हैं ऐसे लोग हमें बदनाम कर कर के आत्मनिर्भर नहीं बनने देंगे। गुस्ताख़ी माफ़!
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433