कविता

किसी का दर्द बांट लो

किसी का दर्द बांट लो

हो सके तो मानवता की उंगली थाम लो।

अपने हालात की मजबूरीयो से निकल

मजलुमो का दामन थाम लो।

बहुत लड़ लिए धर्म के नाम पर

थोड़ा भाईचारे से काम लो।

क्या रखा है फरेब के धंधों में

कुछ तो अपने जमीर से काम लो।

हद हो चुकी आपसी रंजिश की

इंसान का इंसानियत से थोड़ा नाता जोड़ लो।।

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P