गीत/नवगीतपद्य साहित्य

जितने भी सम्मान हैं, जग में,

जितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है।
शहीद होता सीमा पर सैनिक, माँ! का सपूत कहलाता है।
नारी से ऊपर है माता।
पत्नी से भी, ऊपर माता।
जन्मदात्री नहीं है केवल,
प्राणों से, पाले है माता।
प्रसव पीड़ा सह जीवन देती, सैनिक बस खून बहाता है।
जितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है।।
माता केवल जन्म न देती।
पल-पल पाले सब सह लेती।
प्रसव भार सह प्रसव वेदना,
जीने के संस्कार भी देती।
माँ को आँचल, नद है प्रेम का, पल-पल प्रेम लुटाता है।
जितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है।।
दुनिया में सबसे टकराये।
मृत्यु को भी आँख दिखाये।
मातृत्व सुख के आगे माता,
स्वर्गिक सुख को भी ठुकराये।
राष्ट्रप्रेमी,  माँ के चरणों में,  जीवन पुष्प चढ़ाता है।
जितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)