बाल कविता

बस्ता कंधे पर फिर आया

बस्ता कंधे पर फिर आया ।
मन मेरा फिर से हर्षाया ।
सज धज कर हम हैं तैयार।
पापा चलो निकालो कार।
हम अपने स्कूल चलें ।
मन मे लाखों फूल खिले ।
पर कोरोना गया नही ।
लेकिन डरना यहां नहीं ।
नियम सभी हम मानेंगे ।
संयम को अपनाएंगे ।
दूरी और सफाई रखके।
कोरोना को मारेंगे ।
लगन और विश्वास ,परिश्रम ।
जीवन का ये मंत्र सफलतम।
इसी मन्त्र की बांह पकड़ के।
आगे बढ़ते जाएंगे ।
शिक्षक, माता, पिता देश का ,
हरदम मान बढाएंगे ।

— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016