गीत/नवगीतपद्य साहित्य

साथ भले ही नहीं आज हो

साथ भले ही नहीं आज हो, अहसास किंतु अब भी बाकी है।
इक-दूजे के साथ के वे पल, यादों में खिलती झांकी है।।

सीधा सच्चा उर था कितना?
नहीं किसी का था कोई सपना।
जिस पथ पर तुम खड़ी मिली,
सब कुछ सौंप दिया था अपना।
कोई चाहत नहीं थी, उस पल, आज भी नहीं कोई शाकी है।
साथ भले ही नहीं आज हो, अहसास किंतु अब भी बाकी है।।

मिलने की कोई आस नहीं है।
दूरी नहीं, पर पास नहीं हैं।
तुम मिलने को नहीं तड़पती,
बुझे मिलन की प्यास नहीं है।
जीवन का पैमाना टूटा, मिली नहीं, अब तक साकी है।
साथ भले ही नहीं आज हो, अहसास किंतु अब भी बाकी है।।

तुम बिन जीना भूल गए हैं।
फूल भी हमको शूल भए हैं।
काम में डूबे, खुद को भूले,
सुनते सबकी, कूल भए हैं।
कदम-कदम ठोकर हैं झेलीं, मिलन चाह अब भी बाकी है।
साथ भले ही नहीं आज हो, अहसास किंतु अब भी बाकी है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)