कविता

स्मरणाञ्जलि

मेरे जीवन में कमी आपकी खलने लगी है,
एक अजीब सी टीस उर में उठने लगी है।
सदैव सन्मार्ग-दर्शन मिलता रहा आपसे,
वो स्नेह कहा अब पाऊँ? ऐसी उलझन होने लगी है।
बरबस अश्रु विरह की पलकों से छलक पड़ते हैं,
मधुर स्मृतियों के सम्बल से ही हम धीर धरते हैं।
भले हो गए है दूर असार-संसार से आज आप,
किन्तु हमारी अन्तरात्मा में सजीव स्वरूप पलते हैं।
मन में सदा गूँजती रहतीं स्नेहिल बातें आपकी नाना,
चाहे रही वह डाँट आपकी या हो प्यार से समझाना।
सारी बातें मेरे हित में कहते,चाहते रहे उन्नति कराना,
दुःख में भी अविचल आगे बढ़ना,दिव्य,आशीष वरदान है नाना।
किया जो अब तक आपसे अर्जित सादर भाव प्रसून समर्पित,
देवलोक के हुए निवासी देवों से भी हो अभिनन्दित।
आनन्द वर्द्धन किये सकल का हो वन नन्दन में आनन्दित,
अमर कृति यश भू “रामेश्वर” की सुर पुर में निज यशोध्वज फहराना।
तात किसी के पुत्र किसी के पूज्य हमारे प्यारे नाना।
 — राजीव नंदन मिश्र “नन्हें”

राजीव नंदन मिश्र (नन्हें)

सत्यनारायण-पार्वती भवन, सत्यनारायण मिश्र स्ट्रीट, गृह संख्या:-76, ग्राम व पोस्ट-सरना, थाना:-शाहपुर,जिला:-भोजपुर बिहार-802165 मोo:-7004235870