सामाजिक

भारत के बदलते परिवेश में हमारी भूमिका

परिवर्तन प्रकृति का नियम है, समय, काल, परिस्थिति के अनुसार बदलाव आवश्यक भी है। किन्तु बदलाव सकारात्मक परिणाम देने वाला होना चाहिए। भारत आज विकास के नए सोपान, कीर्तिमान गढ़ रहा है। भारत आज तकनीकी, संचार, कृषि, लघुउद्योग, शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थय, स्वावलंबन, सुरक्षा आदि सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। वहीं दूसरी ओर कुछ क्षेत्रों में हमे सुधार की आवश्यकता है। भारत में अनेक प्रांत है। जिनकी अपनी भिन्न-भिन्न बोलियाँ, भाषायें, वेषभूषा, खान-पान और रहन-सहन है। साथ ही भारत में भिन्न-भिन्न जाति, पंथ, समुदाय व धर्म के लोग रहते है। विश्व का सबसे विशाल लोकतंत्र इन्हें एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करता है। परंतु धीरे-धीरे भारतीय संस्क्रति व परंपराओं का अस्तित्व खतरे में प्रतीत होता है। संस्क्रति किसी भी देश या व्यक्ति के जीवन जीने का आधार होती है। परंतु अब इसी संस्क्रति का अस्तिव खतरे में है। क्योंकि निजीकरण के पश्चात धीरे-धीरे विदेशियों ने भारतीय बाजारों पर प्रभुत्व स्थापित करना प्रारंभ कर दिया। जिसने व्यापार करने के माध्यम से अपनी विचारधारा व संस्क्रति का प्रसार-प्रचार करना शुरू किया और कही न कही वे लोग इसमें सफल होते दिखाई दे रहा है। पश्चिमी सभ्यता आज के नवयुवकों में घर कर गयी है। आज भारतीय संस्कार, सभ्यता, रीति-रिवाज परम्पराओं को लोग नजरअंदाज कर पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे हैं जिसके दुष्परिणाम यह हैं कि परिवार टूट रहे हैं, सम्बन्धों में गिरावट आ रही है, बाजार भाव जागृत हो रहा है, अपराध बढ़ रहे हैं। जो आने वाले समय में भारत के लिए ठीक नही है।

पश्चिमी सभ्यता ने भारतीय समाज के खान-पान व रहन-सहन को भी प्रभावित किया है। आज समाज में लोगों को साधारण भोजन से अधिक पीजा, बर्गर व चाऊमीन स्वादिष्ट लगती है और बडे-बडे होटलों में खाना पसंद करते है।  इतना ही नहीं, ऐसा करने पर स्वयं को गौरन्वित महसूस करते है। यह ऐसा समय है कि प्रत्येक व्यक्ति बडे माल/शारूम और बडे ब्राण्ड की वस्तु खरीदना पसंद करता है। इन सब को देखते हुए आज देश के नवयुवकों को जाग्रत होकर कुरीतियों को हटाने का कार्य करना होगा। साथ ही भारत की सभ्यता, संस्क्रति, मानबिंदुओं को जीना होगा। वास्तव में देश तेजी से तरक्की कर रहा है। चूंकि गाँवों में आधारभूत सुविधाएं बढ़ रही हैं, ऐसे में यह दावे से कहा जा सकता है कि वह दिन दूर नहीं जब भारत एक बार विश्व गुरु होगा।

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047