कविता

मन में चाहत है कुछ करूं

मन में चाहत है कुछ करूं
अपने देश-समाज के लिए।
समाज में जो पिछड़ गए
      उन सबके विकास के लिए।
कचरा पर आश्रित मासूमों
       के जीवन में आस के लिए।
मन में चाहत है कुछ करूं
अपने देश-समाज के लिए।
भारतीय सभ्यता-संस्कृति
     के समृद्धि-विकास के लिए।
पर्यावरण के संरक्षण और
       जीवों के उल्लास के लिए।
मन में चाहत है कुछ करूं
अपने देश-समाज के लिए।
छीजते स्वतंत्रता अधिकार
     और मानवाधिकार के लिए।
भारतीय नागरिकों के साथ
       समुचित व्यवहार के लिए।
मन में चाहत है कुछ करूं
अपने देश-समाज के लिए।
बहु-बेटियों के शिक्षा-दीक्षा
       इज्जत व सम्मान के लिए।
पढ़े-लिखे युवा-युवतियों के
      हाथों में काम-धाम के लिए।
मन में चाहत है कुछ करूं
अपने देश-समाज के लिए।
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433