राजनीति

राहुल गांधी की संघ के खिलाफ ओछी बयानबाजी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी तमिलनाडु में अपने सिक्स पैक दिखाने और समुद्र में स्नान करने के बाद एक बार फिर राजनीति में सक्रिय हो गये हैं तथा अपनी आदत से मजबूर होकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तो हमला कर ही रहे हैं, साथ ही अब उनके निशाने पर विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर और विद्या मंदिर भी आ गये हैं। सबसे पहले उन्होंने कहा कि 1975 में आपातकाल लगाना एक गलती थी। उनके इस बयान को लुटियन मीडिया ने जोर शोर से उछाला और यह जताने का प्रयास किया कि राहुल गांधी अपने पूर्वजोें की गलती पर माफी मांग रहे थे, जबकि वास्तविकता यह थी कि राहुल गांधी माफी नहीं मांग रहे थे अपितु वह कोरा बचाव कर रहे थे। वह दिखावटी गलती बता रहे थे अगर काग्रेंस आपातकाल को गलती मानकर माफी मांगती है, तो उसने सत्तर सालो में इतनी अधिक गलतियां की है तो उसका सारा समय देश से माफी मांगते ही बीत जायेगा।
राहुल गांधी जो बयान दे रहे हैं उसमें भी एक नये तानाशाह के उदय की छाप छिपी हुई है। राहुल गांधी की सोच व विचार काफी सेलेक्टिव हो गये हैं। राहुल गांधी के बयान कट्टर मुसलमानों को खुश करने के लिए आ रहे हैं। वह संघ का अपमान जेएनयू के टुकडे-टुकडे गैंग से प्रभावित होकर दे रहे हैं। राहुल गांधी की सोच फांसीवादी व नाजीवादी हो गयी है। कुछ लोग उनके बयानों को सेल्फ गोल बताते हैं। जबकि वास्तव में उनके बयान देश व समाज के लिए बहुत ही घातक होते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विद्या भारती के स्कूलों पर हमला एक सुनियोजित साजिश के तहत किया जा रहा है। राहुल गांधी ने सरस्वती शिशु मंदिरों की तुलना पाकिस्तानी मदरसों से करके अपनी ओछी मानसिकता ही परिचय दिया है।
वह आजकल आरोप लगा रहे हैं कि संघ देश की संस्थाओं को अपने नियंत्रण में ले रहा है सरकार संघ के लोगों की नियुक्ति विभिन्न पदों पर कर रही है। जबकि वास्तविकता यह है कि आज देश की सभी संस्थाएं मजबूत हो रही हैं। देश की संस्थाओं का सर्वाधिक दुरुपयोग किन लोगों ने किया है, यह बात पूरा देश अच्छी तरह जानता है। 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में घटी घटना के बाद किस प्रकार से बीजेपी शासित प्रांतों की सरकारों को बर्खास्त किया गया था, देश के सभी राजनैतिक विश्लेषक आज भी उस दिन को याद करते हैं। राज्यपालों के माध्यम से गैर कांग्रेसी विचारधारा की सरकारों को गिराना व अपने विरोधियों के फोन टेप कराना यह सब कांग्रेस के जमाने में ही होता था।
सीबीआई के सर्वाधिक दुरुपयोग का आलम यह था कि बोफोर्स घोटाला और सबसे बड़ा कामनवेल्थ घोटाला दफन हो गया। आज राहुल गांधी पता नहीं किस आधार पर कह रहे हैं कि देश की संस्थाओं पर संघ का नियंत्रण हो रहा है। राहुल गांधी अगर पूर्वजों की गलतियों पर माफी मांगने लगें, तो उन्हें कई माफियां मांगनी पडेंगी। कांग्रेस ने ही 1947 में देश का विभाजन करवाया, कांग्रेस की गलती से ही जम्मू-कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया। नेहरू ने दिल्ली में गौभक्तों पर गोलियां चलवायी थीं। कांग्रेस किन-किन बातों के लिए माफी मांगेगी? वहीं पंजाब में खालिस्तान का आंदोलन भी गांधी परिवार की ही देन है।
संघ कभी भी राजनीति में भाग नहीं लेता, वह समाज सेवा करता है। संघ के स्वयंसेवक शांति काल हो या आपदाकाल हर क्षण देश की सेवा में लगे रहते हैं। कांग्रेस दलितों, पिछड़ों व मुसलमानों को केवल वोटबैंक मानकर उनको अपना गुलाम बनाकर रखना चाहती है। वहीें संघ के स्वयंसेवक गरीब और पिछड़ी बस्ती में जाते हैं और वहां पर बच्चों को अक्षर ज्ञान सिखाने से लेकर जीवन की छोटी-छोटी बातों को कहानियों के द्वारा समझाते हैं। संघ के लिए समाज भी बड़ा परिवार है। वहीं हमारी सबकी एक ही माता है- भारतमाता। संघ समाज के सबसे पिछड़े वर्ग की सेवा में लगातार तत्पर रहता है। संघ देश के साथ समाज को मजबूत बनाने का कार्य करता हैं। संघ व्यक्तित्व निर्मण का कार्य करता है। संघ कांग्रेस की तरह ओछी राजनीति नहीं करता। कांग्रेस केवल संघ को महात्मा गांधी की हत्या का आरोपी बताकर ही अपनी राजनैतिक रोटियां सेक रही है।
राहुल गांधी ने अपने एक बयान में कहा था कि संघ में नेकर व शार्ट्स पहने कोई महिला कभी नहीं दिखलायी पड़ती है? उनका यह बयान भी भारतीय नारी की संस्कृृति का घोर अपमान है तथा यह उनकी विकृत मानसिकता का ही परिचायक है कि वह भारतीय नारी को एक नेकर व शार्ट्स में देखना चाहते हैं। यह उनकी बेशर्मी की चरम सीमा है। इसका कारण यह है कि उन्हें संघ के बारे में वास्तव में ठीक से पता ही नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेें नारी का सम्मान किया जाता है और उनके लिए अलग से राष्ट्रीय सेविका समिति है तथा दुर्गा वाहिनी है। संघ नारी को मजबूत बनाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल गांधी में सभी प्रकार के संस्कार समाप्त हो चुके हैं। वह केवल अपने आकाओं और मुस्लिम वोटबैंक को खुश करने के लिए बयान दे रहे हैं।
इधर राहुल गांधी संघ व शिशु मंदिरों के खिलाफ कुछ अधिक ही बोल रहे हैं। अभी पांच प्रांतों के विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। जहां पर कांग्रेस ने माक्र्सवादियों व कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों से समझौता किया है जिसके कारण भी राहुल गांधी जानबूझकर संघ व शिशु मंदिरों पर हमला बोल रहे हैं। राहुल गांधी के बयानों का सोशल मीडिया पर भी खूब विरोध हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर का कहना है कि राहुल गांधी की कांग्रेस केरल में मुस्लिम लीग और और पश्चिम बंगाल में मुस्लिम चरमपंथियों के साथ चुनाव लड़ रही है और वह संघ पर सवाल उठा रहे हैं? उन्हें आरएसएस एंटीडोट की जरूरत है। सोशल मीडिया में लोग उन्हें सरस्वती शिशु मंदिरों में प्रवेश पाकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए कह रहे हैं। एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि उन्हें मां सरस्वती की वंदना करनी चाहिए।
सरस्वती शिशु मंदिरों की तुलना पाकिस्तानी मदरसों से करके राहुल गांधी ने जहां हिंदू संस्कृति-सभ्यता को अपमानित किया है, वहीं वह चर्च को महिमा मंडित करने का प्रयास कर रहे हैं। विद्या भारती का लक्ष्य है ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना, जिसके द्वारा ऐसी पीढ़ी का निर्माण हो सके जो हिंदुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत हो शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्ण विकसित हो तथा जो जीवन की वर्तमान चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक कर सके।
राहुल गांधी को यह बात अच्छी तरह से पता होनी चाहिए कि जब कोरोना काल में उनका परिवार आपदा में अपने लिए केवल अवसर खोज रहा था उस समय संघ के स्वयंसेवक व विद्या भारती के स्कूल लगातार समाज सेवा कर रहे थे। अगर संघ व विद्या भारती ने हजारों लाखों लोगो की सहायता न की होती, तो आज देश के हालात यूरोपियन देशों से भी अधिक खराब होते। राहुल गांधी कह रहे हैं कि संघ अपने स्कूलों में एक खास तरह की दुनिया दिखाता है। हां, संघ अपने स्कूलों में वो दुनिया दिखाता है जहां अपने पूर्वजों की संस्कृति का अपमान नहीं, बल्कि उन पर गर्व करना सिखाया जाता है। संघ के स्कूलों में संस्कारों की दुनिया, अपने माता-पिता और धरती माता को प्रणाम करना सिखाया जाता है। एक ऐसी दुनिया जहां राष्ट्र के लिए सर्वस्व समर्पण करने की प्रेरणा दी जाती है। कोरोना काल में जब राहुल गांधी राजनीति में व्यस्त थे तब विद्या भारती समाज की पीड़ा के साथ था।
लाकडाउन में ही देश ने एक और संकट देखा जब लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिक घरों की तरफ लौटने लगे। लोगों का समंदर सड़कों पर उतरा था। प्रियंका गांधी उस समय उप्र में राजनीति की बिसात बिछा रहीं थीं। उस समय विद्या भारती के छात्र लोगों की सहायता के लिए तैनात थे। विद्या भारती ने अपनी बसों से प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाया। विद्यालयों को विश्रामगृहों में बदल दिया गया। विद्या भारती अपने स्कूलों में ऐसी दुनिया दिखाता है जिसमें मानव, मानव की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहे। लेकिन राहुल गांधी की आंखें और शब्द उस समय साथ नहीं दे रहे थे। उनमें संघ व शिशु मंदिरों के प्रति नफरत इतनी मोटी हो गई है कि उन्हें इन सेवाभावी छात्रों और शिक्षकों में आतंकवादी दिखायी पड़ रहे हैं। विद्या भारती के संस्कारों से अब मिशनरी स्कूलों का षड़यंत्र विफल हो रहा है। यही कारण है कि राहुल गांधी अब शिशु मंदिरों के पीछे पड़ गये हैं।
राहुल गांधी ने शिशु मंदिरों की तुलना पाकिस्तान के मदरसों से करके उन लाखों माता -पिताओं का अपमान किया है, जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार के लिए शिशु मंदिरों में भेजते हैं। राहुल की आंखों में पड़ा नफरत का चश्मा इस कदर हावी हो चुका है कि वे राजनीतिक लाभ के लिए न केवल लाखों बच्चों अपितु हजारों शिक्षकों की तुलना पाकिस्तानी कट्टरपंथियों से कर रहे हैं। राहुल गांधी को राष्ट्र, राष्ट्रवाद व देशप्रेम से नफरत हो गयी है। वह भारत को कमजोर, बहुत ही कमजोर देखना चाह रहे हैं। यह वही संघ है जिसने 1962 युद्ध में सेना व सरकार सहायता की थी, गुजरात भूकम्प सहित कई आपदाओं में संघ सेवा कर चुका है तथा लगातार कर रहा है, जबकि राहुल गांधी राजनीति में व्यस्त है।
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राहुल गाँधी एक बार फिर कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालने के लिए तैयार हो रहे हैं तथा यह उसी की तैयारी है। वह सीएए का विरोध कर रहे हैं। किसानों कों भड़काने के लिए कृषि सुधार कानूनों को काला कानून बता रहे हैं। आज राहुल गांधी नफरत की राजनीति कर रहे हैं और उनमें एक नये तानाशाह का चेहरा भी दिखलायी पड़ रहा है, जो काफी सेलेक्टिव तथा घोर तुष्टिकरण का परिचायक है। राहुल गांधी हिंदू जनमानस के खिलाफ जहरीली बयानबाजी करते रहते हैं।

— मृत्युंजय दीक्षित