कविता

वसंत आगमन

महक रही है चारों ओर
वो खुश्बू सुनहरी मिट्टी की
भ्रमरों को देख किसान है मुस्कुराता
हुई है बुआई मक्का और गेहूँ की!!
पीली ओढ़नी है ओढ़े सरसों
तीसी भी है मधुर मुस्काई
हुआ है वसंत का आगमन
खिल रही है चमन, ली धरती ने अंगड़ाई!!
बहे ज़ब पवन यह पुरवईया
प्यारी कोयल मधुरम् गीत जो गाए
ऐसी बेला में उत्सव होता ज़ब
वाग देवी भी तान लगाए!!
आ गई ऋतुओं की रानी
माँ शारदे का आगमन है
विद्या, बुद्धि दे, कष्टों को जो हर लें
ह्रदय से करता, माँ का जो आवह्रन है!!
अब से तो ग़ुलाल उड़ेगी
ये रंगों का त्योहार होली है आया
झूमेगी सखियाँ वृन्दावन में
राधा-कृष्ण के साथ, प्रेम का त्योहार है आया!!
— राज कुमारी

राज कुमारी

गोड्डा, झारखण्ड